लेख
#हाय क्या #जोरदार सीन है…
J. P. Dutta भी देख लें तो एक नई फ़िल्म बना दें। अरे ‘बॉडर’ टाईप, लेकिन नाम क्या रखेंगे ? ‘मूर्खिस्तान में बदलो हिंदुस्तान को’ गज़ब
महान देश का ये भारत पाक बॉडर नहीं, हमारे देश के उच्च शिक्षा संस्थान जेएनयू दिल्ली की तस्वीर है, अपनी पहचान कायम रखने की लड़ाई लड़ रहा है। लेकिन सरकार इसे डंडे पे रखना चाहती है, इसके आवाज और हक़ को अपने लोहे के जूते से कुचलवाना चाहती है। कोई नहीं … संघर्ष छात्र जीवन का अभिन्न अंग रहा है, ये लोग भी कर रहे हैं और जीतेंगे भी।
जरूर जीतेंगे, पिछले साल रायपुर के छात्रों ने भी, अपने हिस्से की लड़ाई लड़ी और जीती भी। थोड़ा कठिन तो होता है लेकिन
‘जो आसानी से कहीं पड़ी मिल जाय, जीत नहीं वो बेईमानी है
अपने हक़ पे जो आवाज़ लगा न सके बेकार-निरर्थक वो जवानी है’
जो लोग नहीं जानते उन्हें जानना चाहिए, की जिस खर्चे को रोकने के लिए ये सरकार इतनी हाय तौबा मचा रही है, वो सारे पैसे हमारे ही हैं। जिसे टैक्सों के रुप में सरकार हम से वसूलती है। तो जब हमारा ही पैसा हमारे बच्चों के भविष्य सुधारने में खर्च नहीं करोगे तो क्या सारे पैसे अपने ऊपर ही खरचने का इरादा किया है क्या ?
बिदेश घूमना और लाल बत्ती बाली गाड़ी में बैठ कर अपने सौ पुश्तों का इंतजाम ही करने का बस इरादा है ?
जितना पैसा इन mp -mal के ठाठ बाट पे खर्च होता है उसका कुछ परसेंट भी ये हरामखोर हम पे खर्चना नहीं चाहते।
हमारा मुंह बंद करने के लिए शहरों और स्टेशनों का नाम बदलेंगे जरा एक बार इन से कोई पूछे तो एक शहर या स्टेशन या किसी का भी नाम बदलने में खर्च कितना होता है ?
तो वो गैवाजिब खर्च इन्हें वाज़िब लगता है। और बच्चों के भविष्य पे खर्च करने में नानी मरने लगती है।
बेशर्मों से कोई पूछे तो वो पैसे क्या ससुराल से दहेज़ में लाए थे ? या बाप दादा ने दिया था ?
हमारा पैसा है, हमारे बच्चों पर खर्च होना ही चाहिए। उनके स्वास्थ शिक्षा और रोजगार पर… #जय हो
#सिद्धार्थ