Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Aug 2019 · 2 min read

लेख

सच की आवाज को मिला रेमन मैग्सेसे सम्मान ;

ये अजीब बिलकुल नही, अप्रत्यासित भी नही इसे होना ही चाहिए था और हुआ भी।

बहुत खुशी कि बात है, इस से कमसे कम इतना तो जरूर होगा जो भी सच के पक्षधर हैं या सच बोलने लिखने की हिम्मत करते हैं उन्हें और बल मिलेगा। सच के साथ डटे रहने के लिए।

लेकिन इस ख़ुशी के मौके पे मैं, 2013 से 2018 के बीच मारे गए 19 पत्रकारों को भी नही भूल सकती, जिन्हें सिर्फ सच बोलने और लिखने के लिए मार दिया गया। उनका दोष बस इतना ही था कि उन्होंने पत्रकारिता को धर्म समझ कर पाला और अपनी पूरी निष्ठा लगा दी।

सिर्फ 2018 में 6 पत्रकार मारे गए और अन्य कई पत्रकारों पर जानलेवा हमले किये या कराये गए।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरों के आंकड़ों मुताबिक साल 2015 से लेकर अब तक करीब 142 पत्रकार हमलों का शिकार हो चुके हैं

आज जब दुनिया में ‘रवीश’ जी को नॉबेल से नवाजा जा रहा है तो ऐसे में आज के दिन मुझे उन सब की ज्यादा ही याद आरही है।

और 2019 के आम चुनाव के बाद जो प्रत्रकार और सच लिखने बोलने बाले थे जिसमे ‘रवीश’ जी भी शामिल हैं उन्हें कैसे भूल जाऊँ कि उनकी गालियों और धमकियों से कितनी खातिर तबज्जो की गई…

बेहद दुबिधा में हूँ ‘रवीश’ जी के लिए खुश होऊं या उन मारे गए 19 पत्रकारों के लिए शोक मनाऊं … मुझे कुछ समझ ही नही आरहा किस से कहूँ ये बातें वो भी नही समझ पा रही…

खैर छोड़िये ये बातें अभी फिलहाल ‘रवीश’ जी के लिए खुश ही हो जाते हैं।

बधाई-बधाई-बधाई

…सिद्धार्थ

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 2 Comments · 500 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आओ इस दशहरा हम अपनी लोभ,मोह, क्रोध,अहंकार,घमंड,बुराई पर विजय
आओ इस दशहरा हम अपनी लोभ,मोह, क्रोध,अहंकार,घमंड,बुराई पर विजय
Ranjeet kumar patre
तुम्हें पता है तुझमें मुझमें क्या फर्क है।
तुम्हें पता है तुझमें मुझमें क्या फर्क है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मैं उसकी देखभाल एक जुनूं से करती हूँ..
मैं उसकी देखभाल एक जुनूं से करती हूँ..
Shweta Soni
सिमट रहीं हैं वक्त की यादें, वक्त वो भी था जब लिख देते खत पर
सिमट रहीं हैं वक्त की यादें, वक्त वो भी था जब लिख देते खत पर
Lokesh Sharma
" मन "
Dr. Kishan tandon kranti
टूटी ख्वाहिश को थोड़ी रफ्तार दो,
टूटी ख्वाहिश को थोड़ी रफ्तार दो,
Sunil Maheshwari
मुहब्बत ने मुहब्बत से सदाक़त सीख ली प्रीतम
मुहब्बत ने मुहब्बत से सदाक़त सीख ली प्रीतम
आर.एस. 'प्रीतम'
सब व्यस्त हैं जानवर और जातिवाद बचाने में
सब व्यस्त हैं जानवर और जातिवाद बचाने में
अर्चना मुकेश मेहता
यादों की सफ़र
यादों की सफ़र"
Dipak Kumar "Girja"
दो जीवन
दो जीवन
Rituraj shivem verma
फिक्र किसी की कौन अब,
फिक्र किसी की कौन अब,
sushil sarna
जो तुम्हारी खामोशी को नहीं समझ सकता,
जो तुम्हारी खामोशी को नहीं समझ सकता,
ओनिका सेतिया 'अनु '
*जीवन साथी धन्य है, नमस्कार सौ बार (पॉंच दोहे)*
*जीवन साथी धन्य है, नमस्कार सौ बार (पॉंच दोहे)*
Ravi Prakash
आज कल !!
आज कल !!
Niharika Verma
जब लोग आपके विरुद्ध अधिक बोलने के साथ आपकी आलोचना भी करने लग
जब लोग आपके विरुद्ध अधिक बोलने के साथ आपकी आलोचना भी करने लग
Paras Nath Jha
तुम्हारा प्यार मिले तो मैं यार जी लूंगा।
तुम्हारा प्यार मिले तो मैं यार जी लूंगा।
सत्य कुमार प्रेमी
ज़िंदगी हम भी
ज़िंदगी हम भी
Dr fauzia Naseem shad
पुष्प
पुष्प
इंजी. संजय श्रीवास्तव
पलायन (जर्जर मकानों की व्यथा)
पलायन (जर्जर मकानों की व्यथा)
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
👌2029 के लिए👌
👌2029 के लिए👌
*प्रणय*
ଜାମ୍ୱାଇ
ଜାମ୍ୱାଇ
Otteri Selvakumar
हम लड़के हैं जनाब...
हम लड़के हैं जनाब...
पूर्वार्थ
तुम्हीं मेरा रस्ता
तुम्हीं मेरा रस्ता
Monika Arora
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Sidhartha Mishra
कुछ पल
कुछ पल
Mahender Singh
पंचतत्व का परमतत्व में विलय हुआ,
पंचतत्व का परमतत्व में विलय हुआ,
Anamika Tiwari 'annpurna '
*📌 पिन सारे कागज़ को*
*📌 पिन सारे कागज़ को*
Santosh Shrivastava
*वो मेरी मांँ है*
*वो मेरी मांँ है*
Dushyant Kumar
यूं गुम हो गई वो मेरे सामने रहकर भी,
यूं गुम हो गई वो मेरे सामने रहकर भी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सुबह सुबह की चाय
सुबह सुबह की चाय
Neeraj Agarwal
Loading...