लेखनी
डा. अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त
कलम को तीखा बनाया और तब कागज पर चलाया
स्याही सूखी उसी पल भाव बिखरे कुछ लिख न पाया ||
शब्द शब्द सिंचन किया बैठ अकेला था भजन किया
फिर देख लेखनी शैलजा- कोमल मन आहत हुआ ||
डा. अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त
कलम को तीखा बनाया और तब कागज पर चलाया
स्याही सूखी उसी पल भाव बिखरे कुछ लिख न पाया ||
शब्द शब्द सिंचन किया बैठ अकेला था भजन किया
फिर देख लेखनी शैलजा- कोमल मन आहत हुआ ||