लेकर तुम्हारी तस्वीर साथ चलता हूँ
रहगुजर हूँ सफर पे जैसे हों हालात चलता हूँ
तुम मानो या ना मानो
मैं लेकर तुम्हारी तस्वीर साथ चलता हूँ
तुम मानो या ना मानो………..
मैं भूल जाऊँ कैसे, हाँ मैं भूल जाऊँ कैसे
तुम्हारी तरह अतीत के पन्ने
लेकर यादों की नसीहत साथ चलता हूँ
तुम मानो या ना मानो………..
तुम्हारी मोहब्बत में, हाँ तुम्हारी मोहब्बत में
सिमट सी गई थी जिंदगी मेरी
लेकर बिखरी मोहब्बत साथ चलता हूँ
तुम मानो या ना मानो………..
मैं तुम्हें बेवफा बेहया, हाँ तुम्हे बेवफा बेहया
बेगैरत मैं किस जुबां से कह दूँ
लेकर कुछ तो इंसानियत साथ चलता हूँ
तुम मानो या ना मानो………….
“V9द” यह इश्क है, हाँ “V9द” यह इश्क है
हर जगह कद्र नहीं है इसकी
लेकर जमाने की हकीकत साथ चलता हूँ
तुम मानो या ना मानो
स्वरचित
V9द चौहान