लूट
मुक्तक।
राष्ट्रवाद का झंडा कुचला, नेताओं ने लातों में।
जनता को ठेंगा दिखलाया, बस बातों ही बातों में।
ख्वाब दिखाते रहे रात भर, भोली भाली जनता को।
दिया लूट कर अपना भारत, डाल विदेशी खातों में।।
प्रदीप कुमार “प्रदीप”
मुक्तक।
राष्ट्रवाद का झंडा कुचला, नेताओं ने लातों में।
जनता को ठेंगा दिखलाया, बस बातों ही बातों में।
ख्वाब दिखाते रहे रात भर, भोली भाली जनता को।
दिया लूट कर अपना भारत, डाल विदेशी खातों में।।
प्रदीप कुमार “प्रदीप”