लुभाता चाँद पूनम का….
समां है क्या गजब देखो, जड़े नभ में सितारे हैं।
धरा भी है सजी-सँवरी, बड़े मोहक नजारे हैं।
गुराए अंग रजनी के, रजत धवला वदन दमके,
लुभाता चाँद पूनम का, करे रह-रह इशारे है।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
“मनके मेरे मन के” से