लिये मनुज अवतार प्रकट हुये हरि जेलों में।
लिये मनुज अवतार प्रकट हुये हरि जेलों में।
है रात अंधेरी घनघोर बरखा हुए हुए प्रकट हरि जेलों में।
माया का खेल खेलें हरि पल पल में।टूटे ताले प्रकटी माया सोये रक्षक कंस के महलों में
आये वसुधैब ले गये लाला नंद महलों में बरसे मेघा तेज हुई यमुना की धार अब कन्हा के बापू करें विचार गया मैं हार।
हे यमुना माई तू क्यों इतने वेग में आई दे अब राह जा रहे लाल बन के नंदलाल अब गोकल में।
मुस्कायी यमुना बोली बाबा चरण छुना है नंदलाला के।
वेग शान्त हो गया चले प्रभु नंद बाबा के ।ले ली कन्या माया क्षय रूप बनाया । कीन्ही शिशु लीला रोदन ठाना जेलो मे आते ही।जागे प्रहरी आया कंस ले ली कन्या हुआ विध्वंस बोली माया उपजातेरा कर काला गोकुल दैत्य वंश निकंदन।प्रभु तेरी लीला कोई न जाना कैसे किये कंस निकदन,तुम धर्म धुरंधर प्रभु नंद लाला होहहीं कृष्ण अनूपा।.
कार्तिक नितिन शर्मा