लिपि सभक उद्भव आओर विकास
वएसे महर्षि पाणिनि केर काल बुद्ध सँ पूर्व सेहो अछि। एकर तिथि 7-8म शताब्दी ई.पू. देवनागरी आ संस्कृतक विषयमे लिखैत छथि।
ललित_विस्तार मे 64 टा लिपि के गप्प करैत बुद्ध कहैत छथि जे एहि मे सँ कोन लिपि हमरा सिखायब?
बुद्धक मृत्यु लगभग ५५० ई.पू. एहि कालमे जैन, मक्खलि गोशाल, संजय वेलट्ठीपुत्र, प्रकृद्ध कात्यायन, अजित केशकंबली, पूर्ण कश्यप, मक्खलिपुत्र गोशालक
आदि दार्शनिक छलाह। सबहक अपन-अपन संस्था छल। अपन-अपन पोथी होएबाक जानकारी सेहो सभकेँ भेटैत अछि।
एहि सभ संस्थाक लिपि छल मुदा ओकर संरक्षणक विधिक जानकारी नहि छलनि। फलस्वरूप लिपि सब नष्ट भ गेल। एहिसँ नकारल नहि जा सकैत अछि जे सभक बीच एकरूपताक अभाव अवश्य छल ।
बुद्ध ललित विस्तारमे जाहि ६४ लिपिक चर्चा कएने छथि तकर प्रसंग पढ़लासँ ज्ञात होइछ जे जाहि लिपिक प्रख्यात विद्वान जिनका पढ़बाक लेल गेल छलाह , तकरा महान पंडित ओहि लिपि सभक विषयमे सेहो नहि सुनने छलाह जे गौतम कहि रहल छलाह।
विचारणीय अछि जे ओ लिपि सभ बुद्ध वा बुद्धक झूठ बाजबासँ बहुत पहिने अवश्य छल ! जँ बुद्ध झूठ बाजि रहल छलाह वा त्रिपिटक लेखक मात्र ओहि बुद्धक महिमामंडन करैत छलाह जे 500 वर्ष सँ बेसी पहिने जन्म लेने छलाह तखन लिपि केँ खारिज कयल जा सकैत अछि | तखन खरोष्ठी सन लिपि मे जे अशोकक शिलालेख भेटैत अछि, वएह लिपि बुद्ध द्वारा कहल गेल अछि खरोष्ठी, कोना कहल जायत?
बुद्धक कालक उल्लेख उपर भेल अछि, जकरा अपने लोकनि सेहो जनैत छी। हिनका लोकनिक पूर्व सभ्यता मोहनजोदड़ो, हरप्पा, लोथल, राखीगढ़ी आदि ठाम भेटल अछि। एहि मे लिपि सेहो भेटल अछि जकरा हाइरोग्लिफ्स कहल जाइत अछि | किछु लोक तऽ पढबाक दावा तक करैत छथि मुदा अंतिम निष्कर्ष पर एखन धरि मुहर नहि लगाओल गेल अछि। मुदा एहिसँ नकारल नहि जा सकैत अछि जे लिपि नहि छल । प्राचीन सिक्का पर सेहो चित्रलिपि भेटल अछि जकर व्याख्या किछु हद धरि कयल गेल अछि | अपनेक पूर्व भागलपुर जिलाक गोरहोघाट (आब सहरसा जिला) सँ सेहो एहेन प्राचीन सिक्का भेटल अछि।
हँ, ई कहल जा सकैत अछि जे तहिया लिपि मे एकरूपता नहि छल। बड़का बात ई जे तखन लिपिक संरक्षण पर ध्यान नहि देल गेल छल। पात आदि पर लिखल छल, जिनकर जीवन लम्बा नहि छल।
श्रुति परम्परा तखन बेसी प्रचलित छल कारण एकरा गला सँ गला मे पीढ़ी दर पीढ़ी बेसी सुरक्षित राखल जा सकैत छल। एकर अर्थ कहियो ई नहि मानल जाय जे भारतक लेखन परम्परा विदेशी अछि। अध्ययनमे कच्चा भऽ सकैत छी मुदा ई नहि कहल जा सकैत अछि जे पाली वा ब्राह्मी छोड़ि कोनो प्राचीन लिपि नहि छल। देवनागरी सबसँ पुरान लिपि अछि। पाणिनीक समयमे सेहो एहि लिपिक प्रचलन कम रहबाक जानकारी अछि।
ललित_विस्तार मे बाल गौतम द्वारा उल्लेखित 64 लिपि अछि :-
● ब्राह्मी ● खरोष्टी ● पुष्करसारि ● अङ्ग लिपि (अंग जनपद की लिपि) ● वङ्ग लिपि ● मगध लिपि ● मङ्गल्य लिपि ● अङ्गुलीय लिपि ● शकारि लिपि ● ब्रह्मवलि लिपि ● पारुष्य लिपि ● द्रविड़ लिपि ● किरात लिपि ● दाक्षिण्य लिपि ● उग्र लिपि ● संख्या लिपि ● अनुलोम लिपि ● अवमूर्ध लिपि ● दरद लिपि ● खाष्य लिपि ● चीन लिपि ● लून लिपि ● हूण लिपि ● मध्याक्षरविस्तर लिपि ● पुष्प लिपि ● देव लिपि (देवनागरी) ● नाग लिपि ● यक्ष लिपि ● गन्धर्व लिपि ● किन्नर लिपि ● महोरग लिपि ● असुर लिपि ● गरूड़ लिपि
● मृगचक्र लिपि ● वायसरुत लिपि ● भौमदेव लिपि ● अन्तरीक्षदेव लिपि ● उत्तरकुरुद्वीप लिपि ● अपरगोडानी लिपि ● पूर्वविदेह लिपि (मैथिली) ● उत्क्षेप लिपि ● निक्षेप लिपि ● विक्षेप लिपि ● प्रक्षेप लिपि ● सागर लिपि ● वज्र लिपि ● लेखप्रतिलेख लिपि ● अनुद्रुत लिपि ● शास्त्रावर्तां ● गणनावर्त लिपि ● उत्क्षेपावर्त लिपि ● निक्षेपावर्त लिपि ● पादलिखित लिपि ● द्विरुत्तरपदसंधि लिपि ● यावद्दशोत्तरपदसंधि लिपि ● मध्याहारिणी लिपि ● सर्वरुतसंग्रहणी लिपि ● विद्यानुलोमाविमिश्रित लिपि ● ऋषितपस्तप्तांरोचमानां ● धरणीप्रेक्षिणी लिपि ● गगनप्रेक्षिणी लिपि ● सर्वौषधिनिष्यन्दा ● सर्वसारसंग्रहणी ● सर्वभूतरुतग्रहणी
पूरातत्व विशेषज्ञ
उदय शंकर (बांका जिला)