लिपट कर तिरंगे में आऊं
एक छोटी सी ख्वाहिश है मेरी
बलि की बेदी को मैं चूंम आऊं
आऊं हाथों में लेकर तिरंगा
या लिपट कर तिरंगे में आऊं
भारती मां फिकर तुम न करना
तेरा आंचल सलामत रहेगा
होगी चर्चाएं दुनिया में तेरी
जब तलक चांद सूरज रहेगा
ऑन पे तेरी खुद को मिटाऊं
या लिपट कर तिरंगे दिखाओ
बोस आजाद की ये धारा
राम ने भी है जीवन धरा
हे सहादत भरी ये धरा
खून से सींच दी ये धरा
कर्ज उनके लहू का चुकाऊं
या लिपट कर तिरंगे में आऊं
करते हैं देव वसुधा का पहरा
रहता हर दिन धरा का सुनहरा
लक्ष्मी की है धरा पे कहानी
जिसने कर दी समर्पित जवानी
उनके चरणों पे सर को झुकाऊं
या लिपट कर तिरंगे में आऊं
एक छोटी सी ख्वाहिश है मेरी
बलि की बेदी को मैं चूंम आऊं
आऊं हाथों में लेकर तिरंगा
या लिपट कर तिरंगे में आऊं
आशीष सिंह
उत्तर प्रदेश लखनऊ