मैं कभी भी भीड़ के साथ नही खड़ा होना चाहता हूं।
88BET KRD – Link vào nhà cái 188BET trang cá cược hàng đầu
सपने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
बनकर हवा का झोंका तेरे शहर में आऊंगा एक दिन,
शायद वो सारे हसीन लम्हे अब कहीं खो से गए...
दिल ये पहले से सजा रक्खा है /
बाजार आओ तो याद रखो खरीदना क्या है।
जग की सारी बन्दिशें, चलो तोड़ दें आज ।
तक़दीर साथ दे देती मगर, तदबीर ज़्यादा हो गया,
प्रद्त छन्द- वासन्ती (मापनीयुक्त वर्णिक) वर्णिक मापनी- गागागा गागाल, ललल गागागा गागा। (14 वर्ण) अंकावली- 222 221, 111 222 22. पिंगल सूत्र- मगण तगण नगण मगण गुरु गुरु।
*रिश्वत लेना एक कला है (हास्य व्यंग्य)*
हिंदी दलित साहित्य में बिहार- झारखंड के कथाकारों की भूमिका// आनंद प्रवीण
प्यार करें भी तो किससे, हर जज़्बात में खलइश है।
सर्वप्रथम पिया से रँग लगवाउंगी
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
तेरी महफ़िल में सभी लोग थे दिलबर की तरह