Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Aug 2020 · 2 min read

लालाजी की दुकान (मोक्स या मास्क)

मेरे ज्ञान चक्षु उस वक्त डगमगा ग‌ए जब मैंने एक शब्द सुना ‘ मोक्स’।यह मास्क से मिलता-जुलता तो है लेकिन लगा नहीं। मुझे लगा मास्क और मोक्स में अन्तर तो होगा ही।
एक बेढंगा सा आदमी, थोड़ा परेशान लालाजी
के दुकान के बाहर रखे तख्त पर आकर बैठता है।कहता है, वहां चौक पर पुलिस वाले बिना मोक्स वालो को रोक रहें हैं। मैं सोच में पड़ गया कि पुलिस वाले रोक तो रहें हैं, लेकिन ये मोक्स क्या है? तभी लालाजी के दुकान के पास का हजामती भी आ जाता है। अब उसका चरित्र कुछ यूं समझ लीजिए कि चालाक मगर चाटुकर भी।
एक बार लालाजी ने अपने और अपने दोस्त के लिए बीड़ी सुलगाई। एक बीड़ी अपने दोस्त को थमाई ही थी कि लालाजी के उंगलियों में से बड़ी तल्लीनता से हमारे हजामती भाई ने बीड़ी सरकाकर अपने मुंह में दबा ली। अब इस पर लालाजी भी क्या करते, दूसरे के मुंह का निवाला थोड़े ही छीन लेते। वेसे वह पेशे से लोगों की हजामत तो करता था, लेकिन कभी-कभी कोई ना मिलने पर किसी राहगीर को ही पकड़ भला-फुसलाकर जबरन हजामत भी कर दिया करता था। यह उसकी खासियत भी थी।
अब वो आया उसने भी सुना कि पुलिस वाले बिना मोक्स वालो को रोक रहें हैं।यह सुन वो भी किसी पीड़ित की भांति अपनी दास्तां सुनाने लगा, लेकिन वह मोक्स वाली जगह पर मास्क कह रहा था। ऐसे ही एक और दिन कोई जान पहचान का लालाजी के दुकान पर आता है। मुंह में दिलबाग चबाते हुए लालाजी से कहता है (मेरे पहली बार सुनने में),” अरे लालाजी, अगर आपके पास मोक्ष हो तो दे दो, मैं यहीं चौक तक जा रहा हूं, अभी आकर लौटा दूंगा।”अब यहां पर मैं फिर से सोच में पड़ गया। भला यह किस प्रकार के मोक्ष की बात कर रहा है, जिसके द्वारा थोड़ी दूर जाएगा भी और वापस आकर लौटा भी देगा। ये तो ठीक वैसा हुआ ना कि आप मृत्यु के दर्शन भी करो और हाय-हैलो बोलकर वापस भी आ जाओ, और यदि मोक्ष मांगना ही था तो भगवान से मांगता लालाजी से क्यूं मांग रहा है।
मैं इस सन्दर्भ में कुछ और सोचता कि तभी लालाजी ने जवाब देते हुए कहा,” क्या? मास्क, अरे भाई मैं तुम्हें अपना मास्क कैसे दे दूं? तुम्हें कहीं जाना है तो अपना मास्क इस्तेमाल करो ना या नहीं है तो खरीद लो।”
बस, लालाजी की सिर्फ यही बात सुनकर मेरे क‌ई दिनों से डगमगाए हुए ज्ञान चक्षु स्थिरता पाने लगे। समझ में आने लगा कि गुटखा चबाते हुए जो इस भले मानुष ने मोक्ष कहा, दरअसल वो मोक्स है, जिसे जब कहा जाता है तो मास्क ही समझा जाता है। मैंने जितनी जल्दी हो सके इसे अपने शब्दकोश में जोड़ लिया और धन्यवाद इस लोकडाउन का कि मुझे एक नया शब्द सिखने को मिला ‘मोक्स’।

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 293 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
3334.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3334.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
*सावन-भादो दो नहीं, सिर्फ माह के नाम (कुंडलिया)*
*सावन-भादो दो नहीं, सिर्फ माह के नाम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
🌹🌹🌹फितरत 🌹🌹🌹
🌹🌹🌹फितरत 🌹🌹🌹
umesh mehra
खुद को मैंने कम उसे ज्यादा लिखा। जीस्त का हिस्सा उसे आधा लिखा। इश्क में उसके कृष्णा बन गया। प्यार में अपने उसे राधा लिखा
खुद को मैंने कम उसे ज्यादा लिखा। जीस्त का हिस्सा उसे आधा लिखा। इश्क में उसके कृष्णा बन गया। प्यार में अपने उसे राधा लिखा
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
love or romamce is all about now  a days is only physical in
love or romamce is all about now a days is only physical in
पूर्वार्थ
*नमस्तुभ्यं! नमस्तुभ्यं! रिपुदमन नमस्तुभ्यं!*
*नमस्तुभ्यं! नमस्तुभ्यं! रिपुदमन नमस्तुभ्यं!*
Poonam Matia
*मधु मालती*
*मधु मालती*
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
आम आदमी
आम आदमी
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*Author प्रणय प्रभात*
विश्व स्वास्थ्य दिवस पर....
विश्व स्वास्थ्य दिवस पर....
डॉ.सीमा अग्रवाल
उसी पथ से
उसी पथ से
Kavita Chouhan
मुस्की दे प्रेमानुकरण कर लेता हूॅं।
मुस्की दे प्रेमानुकरण कर लेता हूॅं।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
'हक़' और हाकिम
'हक़' और हाकिम
आनन्द मिश्र
वो इबादत
वो इबादत
Dr fauzia Naseem shad
विधाता छंद (28 मात्रा ) मापनी युक्त मात्रिक
विधाता छंद (28 मात्रा ) मापनी युक्त मात्रिक
Subhash Singhai
हुईं वो ग़ैर
हुईं वो ग़ैर
Shekhar Chandra Mitra
जिन्दगी में फैसले अपने दिमाग़ से लेने चाहिए न कि दूसरों से पू
जिन्दगी में फैसले अपने दिमाग़ से लेने चाहिए न कि दूसरों से पू
अभिनव अदम्य
हरे भरे खेत
हरे भरे खेत
जगदीश लववंशी
बदलता भारत
बदलता भारत
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
ज़िन्दगी में सभी के कई राज़ हैं ।
ज़िन्दगी में सभी के कई राज़ हैं ।
Arvind trivedi
रमेशराज के हास्य बालगीत
रमेशराज के हास्य बालगीत
कवि रमेशराज
Kitna mushkil hota hai jab safar me koi sath nhi hota.
Kitna mushkil hota hai jab safar me koi sath nhi hota.
Sakshi Tripathi
।।आध्यात्मिक प्रेम।।
।।आध्यात्मिक प्रेम।।
Aryan Raj
ये जो नफरतों का बीज बो रहे हो
ये जो नफरतों का बीज बो रहे हो
Gouri tiwari
उसको भी प्यार की ज़रूरत है
उसको भी प्यार की ज़रूरत है
Aadarsh Dubey
युद्ध के स्याह पक्ष
युद्ध के स्याह पक्ष
Aman Kumar Holy
जब सावन का मौसम आता
जब सावन का मौसम आता
लक्ष्मी सिंह
मात -पिता पुत्र -पुत्री
मात -पिता पुत्र -पुत्री
DrLakshman Jha Parimal
जमाना खराब हैं....
जमाना खराब हैं....
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
Loading...