लायर विग
लायर विग
गर माथे लायर विग होती,सोचो शामत होती कैसी?
भरी भरी सी इस गर्मी में,उमस में आफत नर्मी में।
पसीना तर तर कर आता,क्या लायर सबमिट कर पाता।
गर्दन पे हो लॉयर बैंड ,लॉयर की बजाते बैंड।
गर्मी का मौसम जब आए,सूझे ना फिर कोई उपाय।
माथे विग और चढ़ा हो कोट,क्या लॉयर को मिलेगी ओट।
ये तो अच्छी बात हुई है,सर पे विग ना चढ़ी हुई है।
जो कुछ भी लगते बचकाने,क्यों अंग्रेजी बात हम माने?
अजय अमिताभ सुमन