#लापरवाही और सजगता का महत्व
#नमन मंच
#विषय लापरवाही और सजगता
#सारांश कर्तव्यनिष्ठता ही जीवन का विकास
#दिनांक १६/०९/२०२४
राधे राधे भाई बहनों
हर रोज की तरह साप्ताहिक प्रोग्राम में आज फिर नए विषय को लेकर चिंतन करते हैं,
आज के चिंतन का विषय है लापरवाही और सजगता का मानव जीवन पर प्रभाव !
इंसान के स्व विकास से संबंधित लेख
” लापरवाही और सजगता ”
आओ दोस्तों आज हम इन शब्दों पर कुछ मंथन करते हैं !
आलस्य का दूसरा नाम ही लापरवाही है !
इंसान हारने के बाद या जीवन में विफलता के
बाद फिर से खड़ा होकर जोश के साथ अपने काम पर लग जाता है उसी का नाम सजगता है !
इंसान की सोच भी अच्छी है इरादे भी नेक है,
लेकिन उसने अपने जीवन में लापरवाही से रिश्ता जोड़ लिया गलतियों पर गलतियां करता जाएगा,
अपनी गलतियों से कोई सीख ना लेते हुए अपने जीवन में आलस्य को नहीं छोड़ेगा,
तो फिर उसके जीवन में विनाश का आना तय है !
इंसान की दशा और दिशा अगर गलत है,
उसके जीवन में जरूरी संसाधनों की कमी भी है,
लेकिन अपने काम के प्रति जोश जुनून और सजगता से लगा हुआ है,
भले ही उसकी प्रगति और उन्नति उससे दूर है, लेकिन फिर भी वह एक दिन अपनी मंजिल को पा के रहेगा !
जिस प्रकार लकड़ी के अंदर अगर दीमक लग जाता है तो आने वाले समय में उस लकड़ी के सहारे जो भी रहेगा उसका गिरना तय है !
उसी प्रकार अगर इंसान भी आलस्य और लापरवाही का आदी हो जाता है ,
तो फिर उसकी जीवन नैया का डूबना तय है !
विनाश का दूसरा नाम ही आलस्य और लापरवाही है !
जोश और सजगता ही प्रगति के सोपान है !
इंसान विकास करेगा या विनाश की ओर बढ़ेगा
उसका इन शब्दों से गहरा रिश्ता होता है !
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आओ इसको हम एक उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं !
इसके लिए आपको मैं एक कहानी सुनाता हूं
एक गांव में दो भाई रहते थे,
बड़े भाई का नाम राम
तथा छोटे भाई का नाम श्याम था,
छोटा भाई श्याम मेहनती और काम के प्रति सजग था !
दूसरी ओर बड़ा भाई Ram काम धाम तो कुछ करता नहीं,
गांव की चौपाल पर पंचायत करता रहता था !
छोटा भाई बड़ा ही भोला और निष्कपट था,
वही बड़ा भाई राम कुटिल और अहंकारी स्वभाव का था,
यही वजह थी कि बड़े भाई को गांव में सब नफरत से देखते थे,
कोई उससे बात करने को तैयार नहीं था
वही छोटे भाई श्याम से सब प्रेम और व्यवहार से रहते थे!
ऐसा करते हुए समय बीत गया
छोटे भाई के पास खेती से कुछ रुपए पैसे इकट्ठे हो गए थे !
उसने सोचा कि क्यों ना इस रुपयों से दो बैल की जोड़ी खरीद लूं !
उसने यह बात अपने बड़े भाई को बताई,
बड़े भाई ने उससे पूछा तुम्हारे पास कितने रुपए इकट्ठे हुए,
छोटे भाई ने जवाब दिया जी भाई साहब 400 रुपैया है मेरे पास,
बड़े भाई ने कहा इससे क्या होगा,
छोटे भाई ने कहा
कोई बात नहीं आप चलो मेरे साथ दो बैल नहीं
मिले तो एक बेल ही लेकर आएंगे !
बड़े भाई को उससे जलन तो थी ही उसने मन में सोचा यह मौका अच्छा है इसके पैसे सही काम में नहीं आने चाहिए बैलों की जगह अन्य जानवरों में उलझा दूंगा !
यह सोचकर उसके साथ चल दिया गांव के पास ही मेला लगा हुआ था दोनों भाई मेले में बैल की जोड़ी लेने गए मेले के अंदर तरह तरह की चीजें और तरह तरह के जानवर बिक रहे थे !
ऐसे में बड़े भाई का कुटिल दिमाग छोटे भाई को नुकसान देने की नियत से बेल के बजाय अन्य जानवरों में ध्यान भटकाना शुरू कर दिया !
कुछ दूरी पर मेले के अंदर एक व्यक्ति कुत्ते बेच रहा था,
वह अपने कुत्ते की योग्यताओं को बार-बार बखान कर रहा था,
बड़े भाई ने श्याम से कहा
यह कुत्ता ले ले बहुत उपयोगी है,
तेरे काम आएगा खेती की रखवाली के लिए,
छोटा भाई अपने बड़े भाई की बात को टाल न सका,
और ₹100 में उस कुत्ते को खरीद लिया !
कुछ दूरी पर एक व्यक्ति बिल्ली बेच रहा था
और अपनी बिल्ली की गुणवत्ता का बखान कर रहा था !
बड़े भाई ने फिर शाम को कहा
यह बिल्ली ले ले तेरे जानवरों की रक्षा करेगी !
छोटा भाई श्याम ना चाहते हुए भी
फिर बड़े भाई की बात को टाल नहीं सका,
उसने उस बिल्ली को भी ₹100 में खरीद लिया,
अब उसके पास सिर्फ ₹200 थे
थोड़ा आगे चलने पर एक व्यक्ति चूहा बेच रहा था,
और अपने चूहे की कामयाबी की दास्तान का बखान कर रहा था !
बड़े भाई ने फिर चूहे को खरीदने की जिद पकड़ ली,
छोटा भाई श्याम ना चाहते हुए उस चूहे को ₹100 में खरीद लिया !
अब उसने अपने बड़े भाई से कहा
भाई साहब सो रुपए में क्या बेल आएगा,
बड़े भाई ने कहा कोई बात नहीं अगली बार ले लेना !
तेरे पास ₹100 बच रहे हैं
इससे तेरे को अच्छी चीज दिला देता हूं,
मेले के सबसे आखिर में एक सपेरा सांप बेच रहा था,
बड़े भाई ने मन में सोचा यह अच्छा मौका है
इसको यह सांप भी दिला दो मन में यह विचार करके छोटे भाई को बोला
अरे श्याम यह सांप भी ले ले
बहुत करामाती सांप है यह
आखिरकार उसने वह सांप भी दिला ही दिया,
छोटा भाई रोते हुए मन को करके उन चारों जानवरों को लेकर घर की ओर चल दिया !
गांव के आने से पहले बड़ा भाई तो खिसक लिया क्योंकि गांव वाले हसेंगे और बुरा भला भी कहेंगे
अतः खिसकने में ही उसने अपनी भलाई समझी !
एक हाथ में कुत्ता कंधे पर बिल्ली मौसी गले में सांप और जेब में चूहा गांव के अंदर जैसे ही श्याम पहुंचा सारे गांव वाले उस पर हंसने लगे और ताने कसने लगे !
अरे श्याम
तू तो बेल की जोड़ी लेने गया था,
यह क्या लेकर आ गया कुत्ते बिल्ली और सांप
घर पहुंचा तो बीवी भी झगड़ने लग गई
लेकिन उसने अपना धैर्य नहीं खोया
और चुपचाप घर के अंदर शांति से बैठ गया !
अगले दिन खेत पर जाने के लिए तैयार हुआ तो उन चारों जानवरों को भी रोज की तरह खेत पर
ले जाने की ड्यूटी हो गई !
पर कहते हैं ना जिसका भगवान रखवाला होता है
उसे आप कितना भी डूबा दो फिर भी वह उस संकट से उबर जाएगा,
ऐसा ही इस भले व्यक्ति के साथ हुआ !
एक दिन जंगल में गायों को चराते हुए उसी जगह जाकर पहुंच गया जहां पर उस सांप का बिल था !
सांप ने अपना ठिकाना पहचान लिया,
और श्याम से कहा
हे महानुभव (मलिक) मुझे कुछ समय की
मोहलत दो ताकि मैं अपने परिवार के सदस्यों से जाकर मिल सकूं !
उसने कहा अगर तू वापस नहीं आया तो मेरे तो ₹100 पानी में गए,
सांप ने कहा मैं वचन देता हूं एक घंटे के अंदर वापस आ जाऊंगा,
ना चाहते हुए भी उसने सांप पर विश्वास करके उसे जाने दिया !
सांप अपने घर जाकर अपने परिवार के सभी सदस्यों से मिला अपनी पत्नी से मिला,
और उसने सारी दास्तान अपने घर वाले और पत्नी को बताई !
पत्नी ने कहा अब तुम वापस नहीं जाओगे,
सांप ने कहा मैं वचन देकर आया हूं,
और वह बहुत भोला जीव है मैं उस आदमी को धोखा नहीं दे सकता !
और उससे मुझे कोई तकलीफ भी नहीं मेरा बहुत ख्याल रखता है,
उसकी पत्नी ने कहा
उसको तुम यह अंगूठी जाकर दे देना
और तुम वापस आ जाना यह अंगूठी बहुत करामाती है,
इससे जो मांगेगा उसे मिल जाएगा
सांप अंगूठी लेकर उस आदमी के पास आया
और बोला मैं आपको यह अंगूठी देता हूं
आप मुझे मुक्त कर दो
मैंने तुम्हारे ₹100 दिए हैं
और इस अंगूठी से मेरा क्या होगा
सांप ने कहा यह बहुत करामाती अंगूठी है,
इससे तुम जो मांगोगे मिल जाएगा
श्याम को यकीन नहीं हुआ
सांप ने कहा आजमा कर देख लो
उसने उस अंगूठी को एक स्थान पर रखा और
सांप के बताए हुए मार्ग के अनुसार उसका अनुसंधान किया,
और करामाती अंगूठी से दस गाय मांग ली,
अगले ही पल वहां पर 10 गाय खड़ी हो गई !
अब उस आदमी को यकीन हो गया और उसने उस सांप को जाने दिया,
और वह खुशी-खुशी उन गायों को लेकर घर आ गया,
घर आकर उसने अपनी पत्नी को सारी बात बताई,
रात को गांव के सो जाने के बाद उस करामाती अंगूठी से अपने घर की बजाय एक महल की तमन्ना कर डाली,
अगले ही पल उसकी झोपड़ी की जगह महल खड़ा हो गया !
सुबह जब गांव वाले उठे तो गांव वालों को अचंभा हो गया,
यह महल यहां पर कहां से आ गया यहां तो श्याम की झोपड़ी थी !
उसके बड़े भाई को जब यह पता लगा तो वह
जलन के मारे पागल हो गया !
उसके बड़े भाई को जब यह राज पता लगा तो
उससे वह अंगूठी लेने की फिराक में लग गया !
शातिर दिमाग बड़े भाई ने किसी तरह वह अंगूठी निकलवा ही ली !
अपने भाई के उस महल को उस अंगूठी के द्वारा समुद्र के बीच में जाकर एक टापू पर खड़ा कर दिया और वही रहने लग गया !
अब यहां पर उसके पास कुत्ता बिल्ली और चूहा था !
उन्होंने अपनी वफादारी का परिचय दिया,
और निकल पड़े उस अंगूठी और बड़े भाई की तलाश में,
बिल्ली की नजर बहुत तेज होती है किसी चीज को देखने में,
अतः उसने एक बरगद के पेड़ पर ऊपर चढ़कर देखा वह महल समुद्र के बीच में एक टापू खड़ा है !
अब कुत्ते की बारी आई उसने बिल्ली मौसी और
चूहे को अपनी पीठ पर बिठाकर उसने समुद्र के अंदर तेर कर चूहे और बिल्ली के साथ
उस महल के पिछवाड़े पहुंच गये !
और रात होने का इंतजार करने लगे,
जैसे ही रात हुई चूहा बिल करके उस महल के
अंदर प्रवेश कर गया,
बड़ा भाई RAM भी बड़ा चालाक था,
वह रोज अंगूठी को सोने से पहले अपने मुंह में रखकर फिर सोता था !
चूहे को भनक लग गई अंगूठी इसके मुंह में है,
वह पूछ से उसके मुंह में गुदगुदी करने लगा
ऐसा करने से उस आदमी को छींक आती है,
और वह अंगूठी नीचे गिर जाती है !
चूहा झट से उस अंगूठी को लेकर उस बिल के द्वारा महल से बाहर निकल जाता है !
बाहर कुत्ता उसका इंतजार कर रहा था,
चूहा और बिल्ली कुत्ते की पीठ पर बैठ जाते है,
कुत्ता तैरकर समुद्र को पार करके अपने मालिक के पास आ जाता है,
और अंगूठी उनको दे देते हैं !
श्याम बड़ा प्रसन्न होता है
और तीनों की बड़ी खातिरदारी करता है !
और फिर उस अंगूठी के द्वारा
वापस उस महल को अपने यहां पर मंगवा लेता है !
अब बड़े भाई को बड़ा पछतावा होता है!…..
“सारांश”
“कहानी का मेन उद्देश्य और शिक्षा”
बड़ा भाई राम जहां लापरवाह
और काम के प्रति उदासीन था,
हमेशा दूसरों का बुरा ही चाहता था !
लापरवाह और उदासीन मनुष्य ना खुद उन्नति करेंगे और ना किसी अन्य को उन्नति करने देंगे !
वही छोटा भाई श्याम
सजग मेहनती और कर्म के प्रति कर्तव्यनिष्ठ व्यक्तित्व का धनी था !
जो व्यक्ति अपने कर्म के प्रति निष्ठा रखता है,
उसको अगर कोई द्वेशता की भावना से डुबो भी देगा,
फिर भी वह सजग व्यवहार से फिर से उठ खड़ा होगा!
इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है
की संसाधनों की कमी से जीवन में कोई फर्क नहीं पड़ता,
अगर इंसान जोश और उत्साह से
अपने जीवन में आगे बढ़ता जाए आलस्य का त्याग करें !
सजगता से अपना कार्य करता रहेगा,
फिर उसकी प्रगति को कोई नहीं रोक पाएगा
यही संदेश और शिक्षा धन्यवाद दोस्तों
स्वरचित मौलिक रचना
राधेश्याम खटीक
भीलवाड़ा राजस्थान