लानत है जिंदगानी!
हम ज्यादातर दोहराते, हैं इतिहास।———उसकी को नया रूप देकर, बनाते हैं खासमखास।———-++++++++++++जरुरत है कुछ नया करने की, और तुम ढर्रे उछाल रहें हो।——अरे तुम्हारी कब समझ में आयेगी, तुम खाक छान रहे हो।———–+———-+–बडी बड़ी बातों के बीच में, अपनी बखान रहें हो। कुछ शब्दों का अर्थ नही मालूम फिर भी मान रहे हो।——————-+——भेड़ की चाल सदा से चलें आ रहे हो।——-विशव गुरु बनने का सपना देख रहे हो।–इंसान से इंसान का शोषण करते चले आ रहे हो।——++++——–++—+————अपने को अमीर और दूसरे को गरीब बनाते रहे हो।————–+—————+—लानत है तेरे शासन को , लानत है तेरी बुद्धि मानी को।———————————लानत है इंसानियत को,लानत है तेरी जिंदगानी को।