लागे न जियरा अब मोरा इस गाँव में।
दोस्तों,
एक ताजा ग़ज़ल मुहब्बत की दुनिया के उन सच्चे प्रेमी-प्रेमिकाओं के लिए जो साथ जीने मरने के कसमें लेते है,,!!!!!
ग़ज़ल
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लागे न जियरा अब मोरा इस गाँव में,
धड़के है दिल जैसे नदियां की नाँव में।
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साथ चलूंगी सजना मैं जिधर ले चलो,
उफ्फ न करुँ मैं चुभे ख़ार मेरे पाँव में।
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इक पल मैं ना रहूँ , तुम बिन संसार में,
सारे बंधन तोड़ जीवन लगाऊँ दाँव में।
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तुम्ही सांसे, तुम्ही धड़कन सजना मिरी,
बीते हर सुख दुख मेरा तुम्हारी छाँव में।
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ना घर है ना कोई ठिकाना जहाँ में मिरे,
मुझको सुकुन मिले रखना ऐसे ठाँव में।
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तेरा हर ग़म मेरा,मेरा हर ग़म तेरा “जैदि”
है कसम मिल के रहेंगे हम हर तनाव में।
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मायने:-
ख़ार:-कांटे
मिरी:-मेरे
शायर :-“जैदि”
डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”
बीकानेर।