लाख पतन हो जाए फिर भी हार नहीं मानूंगा मैं !
लाख पतन हो जाए फिर भी हार नहीं मानूंगा मैं !
हो समय भले विपरीत किंतु तकरार नहीं ठानूंगा मैं !
मैं ताने सुनकर भी सह लूंगा; मैं गाली सुनकर भी रह लूंगा,
हर तानों से जुड़ जाऊंगा पर भीख नहीं मांगूंगा में !!
माना है, कठिन डगर लेकिन हर मुश्किन पर चल जाऊँगा !
हो ऊंचा पर्वत कितना भी मैं मेहनत से चढ़ जाऊंगा !
द्वन्द्र छिड़ा है अंतर्मन में तो खुद से संवाद करूंगा मैं,
हर मुश्किल से लड़ जाऊंगा पर खुद को आवादं करूंगा मैं !!