लाखो में एक थी वो
लाखो में एक थी वो
दिल की बहुत नेक थी वो
करती वो थोडी बकवास थी
पर मुझको थोड़ा खास थी
मन से बहुत नरम थी
पर दिमाग से थोड़ी गरम थी
मासूम सी वो दिखने वाली
मुंह में रखती थी हमेशा गाली
वो मुझसे हो गई है अब थोड़ा दूर
पर वो मेरी दोस्त थी इस पर मुझे है गुरूर
जो दिल को छू जाए उसकी बातें हैं ऐसी
पर पता नहीं अब वो है कैसी
उसकी याद बहुत आती है
और जब भी आती है हमेशा रूलाती है