लहू का मजहब…….
राजीव देखो कल बाबा की सर्जरी है और तुम्हे ब्लड का इंताजम करना है ऑपरेशन से पहले तुम्हे पता ही है कि
उनका ब्लड ग्रुप ओ नेगेटिव है जो की काफी कम लोगों मे पाया जाता है हमारे ब्लड बैंक मे नही है और हमने काफी जगह पता भी किया है लेकिन कहीं नही मिल रहा इसलिए तुम्हे जल्द ही इसका इंतजाम करना होगा बिना ब्लड का इंतजाम हुए हम सर्जरी शुरु नही कर सकते डाक्टर ने राजीव को समझाते हुए कहा यह कह डाक्टर चले गए राजीव डाक्टर की बात सुन परेशान हो सोचने लगा कि वह ओ नेगेटिव ब्लड ग्रुप का इंतजाम कँहा से करे
राजीव अपने बाबा के बेड के पास पहुँचा तो बाबा बोले क्या हुआ बेटा क्यों परेशान हो डॉक्टर साहेब का कह रहे थे खतरा है क्या ऑपरेशन मे राजीव झठ से बोला अरे नही बाबा घबराने वाली कोई बात नही है विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली है आप चिंता मत करो सब अच्छे से हो जाएगा बाबा राजीव की बात सुन मुस्कुरा पड़े राजीव उन को समझा बुझा कर आईसीयू से बाहर चला आया और सोच मे पड़ गया कि खून का इंतजाम इतनी जल्दी कँहा से किया जाए तभी उसे अपने संगठन हिंदु सेना की याद आई तो उसने तुरंत फोन मिला वँहा पर बात की लेकिन दुर्भाग्य से वँहा भी किसी तरह से कोई इंतजाम नही हो पाया
राजीव निराशा और हताश हो बैठा था तभी उसका मित्र रमेश आ गया वह आते ही बोला ओए क्या हुआ परेशान क्यों है सब ठीक है न बाबा तो ठीक है राजीव बोला हाँ भाई बाबा ठीक है लेकिन एक बहुत बड़ी समस्या आन खड़ी हुई है यह कहकर राजीव ने डॉक्टर और उसके बीच हुए वार्तालाप को रमेश को बताया रमेश यह सुन उसके बगल मे बैठ गहन सोच मे डूब गया और कुछ सोचते हुए उसका फोन माँगा रमेश ने फेसबुक ओपन कर उसमे मदद से संबंधित एक पोस्ट डाली और राजीव से बोला घबरा मत ईश्वर मदद करेंगे एक घंटा बीत जाने पर भी कोई प्रतिक्रिया नही आई तो अब दोनो की बैचेनी बढने लगी राजीव खड़ा हो इधर उधर टहलने लगा उसकी आँखें धीरे धीरे निराशा के कारण डबडबाने लगी तभी रमेश बोला भाई एक बंदे का फोन आया है वह सुबह आकर खून देने के लिए तैयार है यह सुन राजीव को थोड़ा सकुन मिला लगभग रात ग्यारह बजकर 35 मिनट तक पाँच लोग मिल गए थे जिनका ब्लड ग्रुप ओ नेगेटिव था और वह खून देने के लिए तैयार थे अब जाकर राजीव ने थोड़ी राहत की सांस ली दोनों को अब आने वाली कल सुबह का इंतजार था
सुबह सात बजे अस्पताल मे वह पाँचों लोग रक्तदान करने पहुँच जाते हैं जब राजीव उनसे मिलता है तो पता चलता है कि कल सबसे पहले जिसका फोन आया था वह एक मुसलमान है उसका नाम आस खान है और वही अपने साथ दो और लोगों को लेकर आया था जिनमे एक हिंदु और एक ईसाई है बाकी दो लोग और आए हुए थे यह सभी लोग अपरिचित होते हुए भी मदद के लिए तैयार खड़े थे राजीव चुपचाप खड़ा रहा वह कुछ बोल नही पाया उन सभी ने रक्तदान किया और राजीव से मिलकर चल दिए आस खान ने राजीव के कंधे पर हाथ रख कहा भाई जान सब्र करो अल्लाह मदद करेगा वह यह बोल वँहा से चला गया लेकिन राजीव को ऐसा लग रहा था कि अंदर आत्मा की दीवारों पर जो धार्मिक भेदभाव और दुर्भावना की परत चढी थी वह आज हट रही है दूसरी तरफ बाबा का ऑपरेशन शुरु हो चुका था
कट्टर धार्मिक विचारधारा वाला राजीव जो धार्मिक उन्माद फैलाते थे और जात पात का भेदभाव करते थे आज सोचने पर मजबूर हो गया कि आज ऐसे समय मे जब उसके पास कोई रास्ता नही था तब दूसरे धर्म का व्यक्ति वह भी अपरिचित होकर बिना किसी लोभ लालच के मदद कर गया किस नाते सोच मे डूबे हुए राजीव को रमेश आकर बोलता है भाई बाबा का ऑपरेशन सफल हो गया है डॉक्टर ने कहा है कि कल तक बाबा को होश आ जाएगा
यह सुन राजीव की आँखों से आंसू बहने लगे रमेश बोला औए पागल है क्या रो क्यों रहा है अब बाबा ठीक हो जाएगें राजीव बोला नही भाई यह खुशी के आंसू है सिर्फ बाबा ही नही मै भी ठीक हो गया हूँ उसकी बात सुन रमेश आश्चर्य से उसकी तरफ देखने लगा राजीव बोला हाँ भाई बाबा से ज्यादा मै बीमार था और बीमार भी ऐसा कि जिसका इलाज किसी डॉक्टर के पास नही है मै आज पूरी तरह से ठीक हो गया हूँ जो मेरी धर्म और जात को लेकर कट्टर सोच थी तथा दूसरे मजहब को लेकर नफरत आज वह सब खत्म हो गई है मुझे अच्छे से समझ आ गया है कि इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म होता है और लहू का कोई धर्म नही होता शायद भगवान ने मुझे ठीक करने के लिए बाबा को माध्यम बनाया………. हे इस जगत के पालनहार मेरा तेरा शुक्रिया अदा करता हूँ कि मुझ नासमझ को सही मार्ग दिखाया रमेश राजीव की बातें सुनकर भावुक हो बोलता है भाई सही कह रहा है अब सब ठीक हो गया है चल आ बाहर चलते हैं चाय पिएंगे इंसानियत दिखा मुझको भी कुछ खर्चा कर ले कब से भूखा हूँ फिर दोनो हँस पड़ते हैं और एक दूसरे के कंधे मे हाथ डाल बाहर की ओर बढ़ चलते हैं…………….
#अंजान……..