लहूलुहान धरती
लहू लुहान हो रही है धरती रंगा खून से है ये अंबर.
देख अपनी दुनिया का मंजर दहेल गया वो अंदर ही अंदर / घृ/
. उसने बनाया जब इंसान,
. थे बडे उसके अरमान.
. लेकिन इंसा बंद सकाना इंसान,
वो बन गया एक जानवर.
. दहेल गया वो अंदर ही अंदर.
लहूलहान हो रही है धरती रंगा खून से है ये अंबर.
देख अपनी दुनिया का मंजर दहल गया वो अंदर ही अंदर /1/
देकर उसको भेजा था इंसानियत का धर्म.
नादा इंसा समझ न सका इस बात का मर्म.
कई धर्मो का रचा उसने यहा पर आडंबर.
दहेल गया वो अंदर ही अंदर.
लहू लुहान हो रही है धरती रंगा खून से है ये अंबर.
देख अपनी दुनिया का मंजर दहल गया वो अंदर ही अंदर /2/
यहा आकर फैल आया उसने उच नीच का भरम.
नाना जाती का किया निर्माण और कई तरह के धरम.
यहा आकर रचना उसने उच निच का आडंबर.
दहेल गया वो अंदर ही अंदर.
लहू लहान हो रही है धरती रंगा खून से है ये अंबर.
देख अपनी दुनिया का मंजर दहल गया वो अंदर ही अंदर /3/