लम्बी जुदाई सही नही जाती
मुखरा। गीत क्रमांक = 97
लम्बी जुदाई सही नहीं जाती
आजा सनम तेरी याद सताती
क्यों सताता हैं मुझे तुम अपने लिए{से दुर करके}
हम तों हैं जीवन साथी
लम्बी जुदाई सही नहीं जाती
आजा सनम तेरी याद सताती
चांद की रोशनी में मैं जलने लगी हूं
यादों में तेरी अब पीघलने लगी हूं
फिर भी हर रात अब तेरा ख़बर
इन चांद से जाकर पुछने लगी हूं
कहां गुम हो गए मेरे बीमार अरमानों का मसीहा
जहां पर चांद की रोशनी न जाती
क्यों सताता हैं मुझे तुम अपने लिए
हम तों हैं जीवन साथी
सोचकर कभी तुम मेरे बारे में देखो
होगी आंख नम दिल की आवाज़ को सुनो
क्या मेरे बगैर तुम वहां चैन से रहता होगा
कभी कभी तो तुम मुझे भी याद किया करो
चलें आओ अपने घर को कदम उठाने
गीतकार-रौशन राय
तारीक – 21 -10 – 2021
मोबाइल – 9515651283/7859042461