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12 Jan 2018 · 1 min read

लफ़्ज हैं.. पर श्रेणी मालूम नहीं !!

नफरत नहीं है माध्यम ऊंचाई पाने को,
लोकतंत्र में उसके भी भाव लगते देखे हैं,
ज्यादातर लोगों की है भाव-दशा यही,
मिलजुल लूट लेते है शोहरत गरीब की,
.
फैली है नफरत समाज में सदियों से,
धर्म के नाम पर,
ताज है संविधान सात दशक से,
अन्यथा कोई पिलाकर दिखा दो पानी,
बकरी और शेर को..एक घाट पर पानी,
.
सीख ले जमाना चुन ले मुक्ति के मार्ग,
जो पढ़ाया गया जो सिखाया गया,
चक्रव्यूह है परीक्षा है तेरी शिक्षाओं का,
जो तू हुआ पास तू सफल है,
वरन् कौन कहे तूने सिखा है मुक्त परिंदा है,
.
डॉ0महेंद्र.

Language: Hindi
Tag: शेर
1 Like · 1 Comment · 261 Views
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