लफ्ज मेरे – डी के निवातिया
लफ्ज मेरे
लफ्ज मेरे आते नहीं आजकल बुलाने पर
इक से इक नए बहाने बनाते है बहाने पर
करते नहीं वाह वाह सुनकर ग़ज़ल हमारी,
हर तरह से आमादा है वो हमें रुलाने पर !!
!
डी के निवातिया
लफ्ज मेरे
लफ्ज मेरे आते नहीं आजकल बुलाने पर
इक से इक नए बहाने बनाते है बहाने पर
करते नहीं वाह वाह सुनकर ग़ज़ल हमारी,
हर तरह से आमादा है वो हमें रुलाने पर !!
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डी के निवातिया