Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Dec 2023 · 1 min read

लतियाते रहिये

ग़ैरों को अपनाते रहिये।
अपनों को लतियाते रहिये।।

बहुत दूर है यार पिपरिया।
फिर भी आते जाते रहिये।

देश आपके पापा का है।
जो मन आये खाते रहिये।।

बेशरमी को सिर पर लादे।
मन ही मन शरमाते रहिये।।

झूठे कसमो वादों से बस।
पब्लिक को भरमाते रहिये।

दिल में भी घर बन जाएगा।
अपना प्यार जताते रहिये।।

Language: Hindi
102 Views

You may also like these posts

|| सेक्युलर ||
|| सेक्युलर ||
जय लगन कुमार हैप्पी
विधाता छंद (28 मात्रा ) मापनी युक्त मात्रिक
विधाता छंद (28 मात्रा ) मापनी युक्त मात्रिक
Subhash Singhai
सुप्रभात!
सुप्रभात!
Sonam Puneet Dubey
*Sunshine*
*Sunshine*
Veneeta Narula
जागी जवानी
जागी जवानी
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
खत लिखना
खत लिखना
surenderpal vaidya
हर महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि
हर महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि
Shashi kala vyas
जय हो जनता राज की
जय हो जनता राज की
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
जो बीत गया उसकी ना तू फिक्र कर
जो बीत गया उसकी ना तू फिक्र कर
Harminder Kaur
हार हमने नहीं मानी है
हार हमने नहीं मानी है
संजय कुमार संजू
इंसान एक खिलौने से ज्यादा कुछ भी नहीं,
इंसान एक खिलौने से ज्यादा कुछ भी नहीं,
शेखर सिंह
जब कभी मैं मकान से निकला
जब कभी मैं मकान से निकला
सुशील भारती
**वो पागल  दीवाना हो गया**
**वो पागल दीवाना हो गया**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Sunwin khẳng định vị thế là một trong những nhà cái hàng đầu
Sunwin khẳng định vị thế là một trong những nhà cái hàng đầu
Sunwin
प्रेम मे सबसे  खूबसूरत  चीज होती है कोशिश...थोड़ी और कोशिश ह
प्रेम मे सबसे खूबसूरत चीज होती है कोशिश...थोड़ी और कोशिश ह
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
याद करने पर याद करता है ,
याद करने पर याद करता है ,
Dr fauzia Naseem shad
"तिलचट्टा"
Dr. Kishan tandon kranti
उस
उस"कृष्ण" को आवाज देने की ईक्षा होती है
Atul "Krishn"
मन इतना क्यों बहलाता है, रोज रोज एक ही बात कहता जाता है,
मन इतना क्यों बहलाता है, रोज रोज एक ही बात कहता जाता है,
पूर्वार्थ
😊Good Night😊
😊Good Night😊
*प्रणय*
4209💐 *पूर्णिका* 💐
4209💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
अज्ञानी की कलम
अज्ञानी की कलम
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
- शब्दो की मिठास -
- शब्दो की मिठास -
bharat gehlot
मारी थी कभी कुल्हाड़ी अपने ही पांव पर ,
मारी थी कभी कुल्हाड़ी अपने ही पांव पर ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
यूँ न फेंको गुलाल.. रहने दो.!
यूँ न फेंको गुलाल.. रहने दो.!
पंकज परिंदा
Is it actually necessary to poke fingers in my eyes,
Is it actually necessary to poke fingers in my eyes,
Chaahat
हस्ताक्षर
हस्ताक्षर
इंजी. संजय श्रीवास्तव
मत मन को कर तू उदास
मत मन को कर तू उदास
gurudeenverma198
पुरखों की याद🙏🙏
पुरखों की याद🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
यहां ज्यादा की जरूरत नहीं
यहां ज्यादा की जरूरत नहीं
Swami Ganganiya
Loading...