लड़ रहे आपस में __घनाक्षरी
अपनी ही तानते हैं मेरी नहीं मानते हैं।
लड़ रहे आपस में कैसा परिवार है।।
इसको मनाऊं और समझाऊं उसको तो।
होते नही शांत देखो वार पर वार है।।
बेतुके है बोल बोले जहर जुबां से घोले।
तलवार से भी ज्यादा जबान की धार है।।
मिलना नहीं है कुछ खो देंगे वे सब कुछ।
समझोता कीजिए जी शांति में ही सार है।।
राजेश व्यास अनुनय