लडकियां उदास हो गईं……..
वहशियों का ग्रास हो गईं ,लडकियां उदास हो गईं,
भेडियो की बस्तियां भी ,अब शहर के पास हो गईं|
अपने मन की किससे कहें ,कबतलक यूं घर में रहें,
सड़कें राजधानी की क्यूं गले की फांस हो गईं|
–आर ० सी ० शर्मा “आरसी”
वहशियों का ग्रास हो गईं ,लडकियां उदास हो गईं,
भेडियो की बस्तियां भी ,अब शहर के पास हो गईं|
अपने मन की किससे कहें ,कबतलक यूं घर में रहें,
सड़कें राजधानी की क्यूं गले की फांस हो गईं|
–आर ० सी ० शर्मा “आरसी”