*लज्जा*
_________________________________
आज हर तरफ दिखाई देता अलग रिवाज़ है।
फैशन की फितरत में दिखावे का मिज़ाज है।
वो दिल में हया और आंखों में लज्जा न रही,
इन बे-नूर बाशिंदों का ये मरज़ ला-इलाज है।
——————————————————-
सुधीर कुमार
सरहिंद फतेहगढ़ साहिब पंजाब।