लघु रचना : दर्द
लघु रचना : दर्द
हमने अपने दर्द को
मुस्कुराहटों में ढाला है
सीने में किसी की याद को
नज़ाकत से पाला है
मुद्दा ये नहीं
कि
बेवफ़ाई का चराग़
जलाया किसने
सच तो ये है कि
एक -एक अश्क
गिराया है
आँख से
दोनों ने
इस
अबोले दर्द का
सुशील सरना