#लघुकथा
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■ श्रीमान समाजसेवी…!!
【प्रणय प्रभात】
महान समाजसेवी श्रीमान द्वारिकानाथ आपदा पीड़ितों को भोजन के पैकेट बाँट कर लौटे। गुदगुदे सोफे पर पसर कर फेसबुकी दुनिया में अपने महिमा-मंडन वाली पोस्ट पर लाइक्स और कमेंट्स का जायज़ा लेने में जुट गए।
पास ही बैठे दाएं-बाएं राहत कार्य से जुड़े ताज़ा अपडेट्स में अलग से जुटे थे। जय-जयकार का शोर जारी था। जिसमें श्रीमान समाजसेवी की सगी मौसी का करुण क्रंदन दब कर दम तोड़ रहा था। पता चला कि बाढ़ ने मौसी को पूरी तरह सड़क पर ला दिया था।
दुःख की बात यह थी कि उसकी सुध लेने वाला कोई नहीं था। श्रीमान समाजसेवी भी। क्योंकि उनके बाप ने कमज़ोर खानदान में ब्याही अपनी साली से रिश्ते पहले ही ख़त्म कर लिए थे। उनके लिए सारी दुनिया परिवार थी। सिवाय आर्थिक आधार पर त्यागी गई साली के।
मितरों! निशाना सिर्फ़ नुमाइश पसंदों और जुमलेबाज़ों पर है। निस्वार्थ सेवाभावी अकारण ख़ार न खाएं और गुस्ताख़ी माफ़ करें।।
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)