लघुकथा
हाई-कमान
समाज सेवी शिवलाल का शहर में ही नहीं आस-पास के क्षेत्र में भी सहृदयता व सज्जनता के लिए सम्मान था|
उन्होंने लंबे समय तक जाति उन्मूलन अभियान चलाया|
इनके मान-सम्मान व जनसेवा को भुनाने के लिए, एक राजनीतिक दल ने उन्हें मिन्नतें करके विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए मनाया| बड़े मान-मनोवल के बाद शिवलाल ने चुनाव लड़ने की सहमति दे दी|
तदुपरांत शिवलाल ने उस राजनीतिक दल के प्रत्याशियों की सूची देखी तो चोंक गए| क्योंकि सूची में उनके नाम के साथ उनकी जाति भी लिखी थी|
यही सूची सभी राष्ट्रीय समाचार-पत्रों में भी प्रकाशित हुई थी|
ताउम्र जाति उन्मूलन अभियान चलाने वाले शिवलाल को सूची में नाम के साथ लगी जाति कचोट रही थी|
पार्टी के जिला स्तरीय नेताओं से बात की तो पता चला कि ‘हाई-कमान’ शिवलाल की जाति के वोट-बैंक का लाभ पूरे राज्य में लेना चाहता है| इसलिए उनके नाम के आगे जाति जोड़ी है| यह सब सुनकर शिवलाल तिलमिला कर रह गए|
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– विनोद सिल्ला