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9 Jun 2019 · 2 min read

आहट

शाम को चाय पीते वक्त जब तारा ने अपनी सास की साँस फूलती हुई देखी तो कहा- अम्मा जी आप अपने खान-पान का ध्यान रखा करिए।बहुत जल्द आपकी तबीयत खराब हो जाती है-शुगर बढ़ जाती है,ब्लड प्रेशर कम हो जाता है। सबके लिए समस्या पैदा हो जाती है।घर सँभालना मुश्किल हो जाता है। बहू के ये शब्द सास को चुभ गए।
उन्होंने अपने पति से कहा – तुम बैठे – बैठे सुन रहे हो,कुछ बोलते क्यों नहीं? क्या इसी दिन के लिए बेटे को पाल – पोसकर बड़ा किया था कि एक दिन बहू आकर हमें ताने मारे।
तारा के ससुर ने कहा- बहू सही तो कह रही है। बहू को घर-दफ्तर सब कुछ सँभालना होता है। घर में वह तुम्हें देखे कि अपना बच्चा सँभाले और तुम तो देखती ही हो कि बेटा सप्ताह में चार दिन काम के सिलसिले में शहर से दूर ही रहता है। पति की बात सुनकर वे और नाराज़ हो गईं।कहने लगीं, तुम भी बहू की ही तरफदारी करते हो। मेरी तो कोई सुनता ही नहीं। मैं तो अब सबके लिए बोझ बन गयी हूँ।
उन्होंने सोचा कि आज जब बेटा आएगा तो उससे अपने दिल की बात कहेंगी। रात को जब ग्यारह बजे विनायक आया तो वे अपने दिल की बात इसलिए नहीं बता पाईं कि बेटा थका-हारा आया है, अभी उससे घर की किच-किच सुनाना ठीक नहीं। कल इतवार को दिन में बताएँगी।
रात में जब सास उठी तो उनको बहू के कमरे से कुछ खुसुर – फुसुर की आवाज़ सुनाई दी । उनको लगा कि हो न हो तारा ,विनायक को मेरे खिलाफ भड़का रही होगी। उन्होंने तारा के कमरे के दरवाजे पर कान लगाकर सुना,
तारा कह रही थी- अम्मा की तबीयत ठीक नहीं रहती। कल किसी अच्छे डाॅक्टर को उन्हें दिखा लाना। कल शाम को बहुत परेशान थीं। उनकी साँस भी फूल रही थी और उन्हें उलझन भी महसूस हो रही थी।
तारा की बात सुनकर सास की आँखों में आँसू आ गए। वे सोचने लगीं ,बहू मुझे कितना प्यार करती है और मैं उस पर शक कर रही थी।
वे चुपचाप आकर अपने बिस्तर पर लेट गयीं। ‘तारा जैसी बहू सबको मिले’- यह कामना करते हुए उनकी आँख कब लग गई , उन्हें पता ही नहीं चला।
डाॅ बिपिन पाण्डेय

Language: Hindi
433 Views
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