लघुकथा – जिम्मेदार कौन ?
लघुकथा – जिम्मेदार कौन ?
चहुँ और लहलहाते खेत , किसान अपने खेतो में बहोत ही मेहनत से पसीना बहा रहे थे |
इस वर्ष औसत बारिश से ही अच्छी फसल आने से राजू का ख़ुशी से झूमने का मन
हो रहा था , लेकिन कब ख़ुशी का माहौल गम में बदल जाये यह सोच ही रहा था की
प्रकृति की नियति का खेल बड़ा विचित्र रहता है , जो होना था वही हुआ आंधी , तूफान ने
गेहू की फसल को तहस-नहस कर दिया था |
किसान राजू के ऊपर पहले कर्ज , सूखा और तंगहाली से जीवन की गाड़ी चलाना बहुत ही
लाचारी पूर्ण होकर अपने ही खेत में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली | राजू के आत्महत्या
से सम्पूर्ण गांव सदमे में आ गया | आत्महत्या की घटना से तुरंत जिला प्रशासन ने राजू के
परिवार को सबल देने के लिए परिवार सहायता , विधवा पेंशन , आवास योजनाए , कपिल धारा कुआं ,
राजू के पत्नी जया को नौकरी ये चार घोषणाएं प्रशासन ने तुरंत नेता टाइप कर दी | गांव के लोग बड़े
खुश हुये , परिवार को परिवार सहायता से जया के दुःख में राहत मिलेगी लेकिन क्या मात्र २० हजार
की सहायता के बाद जया को बाकि तीन योजनाओ का लाभ लेने के लिए भागदौड़ लगाना चालू की |
समय अपने गति से आगे बढ़ रहा था , जया भी आवास योजना के लिए जिला पंचायत कार्यालय
में पहुंची , आवास के लिए जानकारी ली गयी तो , ऑफिसर ने उस आवास फाइल को खोलकर ही
देखा नहीं | स्वीकृति के लिए जिला पंचायत कमेटी के अध्यक्ष , कलेक्टर , जिला पंचायत सीईओ की
मौजूदगी में बैठक होनी थी , दो साल से नहीं हुयी | जया और दुखों से पागल सी हो गयी क्या बोले
किसे बोले कुछ समझ नहीं आ रहा था | दो साल में तो कलेक्टर , जिला पंचायत सीईओ , जनपद
पंचायत सीईओ , ग्राम पंचायत सीईओ सभी बदल गए | सरकारी दस्तावेजों से जानकारी हासिल
हुयी जया की विधवा पेंशन योजना २२ महीने बाद शुरू हुई , जया को इसकी सुचना भी बहोत देरी
से दी गयी | कुआं भी खोदा लेकिन पानी नहीं निकला | कपिलधारा भी बगैर पानी से असफल
जया ने आखिर अपने दोनों बच्चो के खातिर १००० माह से रसोईं की नौकरी कर ली , लेकिन एक
हजार से दोनों बच्चो को एव अपना पेट कैसे भरे इसलिए मजदूरी ही करना आखरी रास्ता था |
जया ने एक बच्चे को सरकारी छात्रावास में रख दिया और दूसरे को अपने साथ रखकर मजदूरी
करने लगी , मेरे नशीब में मजदूरी ही थी …. |
राजू के देहांत के बाद तुरंत चार योजनायें जया को दिलवाने की जिम्मेदारी थी , लेकिन किसी ने
भी गरीब परिवार की सुध नहीं ली | जया बार – बार यही सोच रही थी कौन जिम्मेदार है ? पेंशन ,
कपिल धारा , नौकरी सभी योजनायें में कहां देरी हुई , कौन जिम्मेदार है ? यह सवाल तो अपने
जगह है , आज भी वही हालत भयंकर पीड़ा , दुःख , वेदना भुखमरी , मजदूरी भी एक दिन मिले
चार दिन घर रहो , किसी के भी पास जाने से जया का जी भी घबराता था | सब कुछ जानकारी होने
के बाद भी वही जानकारी दो , दस्तावेज दो और वही दौड़ते रहो , चप्पल घिसते रहो | जया भी
रोज के परेशानी से बीमार होकर बिस्तर पकड़ लिया , और भुखमरी के दलदल से बहार निकलने
का कोई भी रास्ता नहीं निकल रहा था | सभी निर्दयी बन गए थे , मानवता सभी भूल गए थे ,
सरकारी व्यवस्था पर जया के बोल ही नहीं निकल रहे थे | आखिर कौन जिम्मेदार है ………?
कॉपीराइट – राजू गजभिये