(लघुकथा ) केयर
(लघुकथा )
केयर
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रघ्घू ओ रघ्घू की आवाज लगाते हुए मुकुंदीलाल ने घर के भीतर प्रवेश किया ।
अगले पल ही आया मालिक कहते हुए रघ्घू सामने खडा था
मालती कहाँ है? कैसी तबीयत है? रमेश आया नही क्या अब तक? सवालों की बोछार कर दी मुकुंदीलाल ने।
तबीयत कुछ ठीक नही मालकिन की मै अभी उनके पास दूध का गिलास रखकर आ रहा हूं पीने को मना कर रही हैं आप ही कहकर देखें सुबह से कुछ खाया भी नही… ऒर रमेश बाबू आये थे पर थोडी ही देर मे बीबी जी ऒर चीनू भैया को साथ लेकर निकल गये, कह कर गये हैं बाबू जी आयें तो बता देना कि आज चीनू के स्कूल मे पैरेन्ट्स टीचर मीटिंग है वहाँ पहुचना जरूरी है वरना स्कूल वाले शिकायत करते हैं कि पैरेन्ट्स बच्चों की केयर नही करते ….
ऒर यह भी कह गये हैं आने मे देर हो जायेगी इसलिये बाबू जी से कह देना अम्मा को वो ही दिखा लायेंगे डाँक्टर के पास ।
अच्छा अच्छा कहते हुये मुकुंदीलाल मालती के कमरे की ओर लपके देखा तो जीवनसंगिनी का बदन मारे बुखार के तपा जा रहा था । पास ही खडे रघु से कहा जा कटोरी मे थोडा ठण्डा पानी ऒर एक कपडे का टुकडा ले आ , ठण्डे पानी की पट्टी रखने से थोडा बुखार कम होगा तब मै मालती को डाँक्टर के यहाँ ले जाउंगा ।
अपनी धर्मपत्नी के माथे पर ठण्डे पानी की पट्टी रखते हुये मुकुन्दी बाबू सोचते जा रहे थे कि जब रघ्घू ने उनहे मालती की तबीयत बिगड़ने की खबर दी ऒर मैने रमेश को फोन पर कहा तेरी माँ की तबीयत ठीक नही ऒर मै भी घर पर नही हूं, तो बेटा तू जल्दी से घर पहुचकर अपनी माँ को डाक्टर के पास दिखा ला ऒर उसने हाँ बाबूजी अभी जाता हूं कहकर मुझे अाश्वस्त कर दिया था तभी उन्हे ध्यान आया कि उसी समय रमेश की दूसर फोेन पर बहू से बात करने की आवाज आ रही थी, कह रहा था अभी पहुचता हूं नीलू।
मुकुंदीलाल विचार करने लगे ये स्कूल वाले सही कह रहे थे कि पैरेन्ट्स अपने बच्चों का खयाल नही रखते या………….
गीतेश दुबे