लघुकथा :आक्सीजन
लघुकथा : “आक्सीजन”
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“अमित, यह आकाश की तरफ मुँह उठाकर लंबी-लंबी साँसे क्यों ले रहे हो? दिमाग खराब हो गया क्या?”
राजेन्द्र ने अपने बेटे की तरफ देखकर कहा।
अमित ने पिता की तरफ बिना देखे जवाब दिया –
“आक्सीजन ढूँढ़ रहा हूँ पिताजी, शायद कहीं से थोड़ी-थोड़ी मिल जाये। बाजार में तो एक सिलेंडर पचास हजार का बिक रहा है।”
! निःशब्द!!
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शंकर आँजणा नवापुरा धवेचा
बागोड़ा जालोर
कक्षा स्नातक तृतीय वर्ष