Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jan 2023 · 1 min read

लगें हैं तोता मैना

मधुर मिलन के हो गए, पूरे ग्यारह साल।
है ईश्वर से कामना, रहें सदा खुशहाल।।
रहें सदा खुशहाल, कभी ना बरसें नैना।
यही रहे मुस्कान, लगें हैं तोता-मैना।।
हो रिश्तों में प्यार, यही है सुख की चाभी।
नमन मात औ तात, बड़े जस भैया-भाभी।।
✍️जटाशंकर”जटा”

Language: Hindi
170 Views

You may also like these posts

"भेड़ चाल"
Khajan Singh Nain
दोहे
दोहे
seema sharma
पाश्चात्य विद्वानों के कविता पर मत
पाश्चात्य विद्वानों के कविता पर मत
कवि रमेशराज
🙅आज का उपाय🙅
🙅आज का उपाय🙅
*प्रणय*
जय हो माई।
जय हो माई।
Rj Anand Prajapati
फिल्म तो सती-प्रथा,
फिल्म तो सती-प्रथा,
शेखर सिंह
गोरे गोरे गाल
गोरे गोरे गाल
RAMESH SHARMA
ग़ज़ल __ दुआ देने से दुनिया में, दुआएं कम नहीं होती।
ग़ज़ल __ दुआ देने से दुनिया में, दुआएं कम नहीं होती।
Neelofar Khan
हर चीज़ मुकम्मल लगती है,तुम साथ मेरे जब होते हो
हर चीज़ मुकम्मल लगती है,तुम साथ मेरे जब होते हो
Shweta Soni
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
मुसाफिरखाना है ये दुनिया
मुसाफिरखाना है ये दुनिया
ओनिका सेतिया 'अनु '
तुम्हारे ही ख्यालों में हम भीगते हैं ।
तुम्हारे ही ख्यालों में हम भीगते हैं ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
उजला चमकता चेहरा
उजला चमकता चेहरा
Chitra Bisht
संगिनी भी साथ रहे
संगिनी भी साथ रहे
आकाश महेशपुरी
जिगर धरती का रखना
जिगर धरती का रखना
Kshma Urmila
बिखरा ख़ज़ाना
बिखरा ख़ज़ाना
Amrita Shukla
" ढले न यह मुस्कान "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
बचपन के वो दिन कितने सुहाने लगते है
बचपन के वो दिन कितने सुहाने लगते है
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
#मणियाँ
#मणियाँ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
- इश्क से तुम दूर रहो -
- इश्क से तुम दूर रहो -
bharat gehlot
*रिश्तों मे गहरी उलझन है*
*रिश्तों मे गहरी उलझन है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
2712.*पूर्णिका*
2712.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
छलते हैं क्यों आजकल,
छलते हैं क्यों आजकल,
sushil sarna
फिर से जिंदगी ने उलाहना दिया ,
फिर से जिंदगी ने उलाहना दिया ,
Manju sagar
बीतल बरस।
बीतल बरस।
Acharya Rama Nand Mandal
" एक थी बुआ भतेरी "
Dr Meenu Poonia
ढोल  पीटते हो  स्वांग रचाकर।
ढोल पीटते हो स्वांग रचाकर।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
आओ फिर गीत गंध के गाएं
आओ फिर गीत गंध के गाएं
Suryakant Dwivedi
*ऊॅंचा सबसे दिव्य है, जग में मॉं का प्यार (कुंडलिया)*
*ऊॅंचा सबसे दिव्य है, जग में मॉं का प्यार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
आओ मिलन के दीप जलाएं
आओ मिलन के दीप जलाएं
भगवती पारीक 'मनु'
Loading...