लगाये तुमको हम यह भोग,कुंवर वीर तेजाजी
(शेर)- लगाने को भोग हम तुमको,लाये हैं थाली सजाकर।
करो स्वीकार यह खीर चूरमा ,वीर तेजाजी तुम आकर।।
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लगाये तुमको हम यह भोग,कुंवर वीर तेजाजी।
करो स्वीकार चूरमा खीर, आकर वीर तेजाजी।।
लगाये तुमको हम यह भोग———————–।।
ताहड़ के घर जन्में, लेकर शिवजी का अवतार।
माता तुम्हारी रामकुंवारी,तुम पेमल के भरतार।।
सजाकर लाये हम थाली , कुंवर वीर तेजाजी।
करो स्वीकार दाल- बाटी,आकर वीर तेजाजी।।
लगाये तुमको हम यह————————-।।
होठ गुलाबी, लाल गाल हैं, काले केश तुम्हारे।
पंचरंगी पगड़ी है तुम्हारी, हाथ में भाला तुम्हारे।।
लगाये दशमी को तुमको भोग,कुंवर वीर तेजाजी।
करो स्वीकार पुए पकवान, आकर वीर तेजाजी।।
लगाये तुमको हम यह ————————-।।
करें याद कृषक तुमको, खेतों की खुशहाली में।
तुम हो उपकारी देवता, कृषक की खुशहाली में।।
लीलण घोड़ी पे होके सवार,आवो वीर तेजाजी।
करो स्वीकार लापसी चाव,कुंवर वीर तेजाजी।।
लगाये तुमको हम यह ———————–।।
तुमको पुकारे गौमाता, वीर धोलिया गौरक्षक।
तुम वचन के पक्के हो, तुम सर्पों के भी रक्षक।।
मानो लाछा, राजल की बात, कुंवर वीर तेजाजी।
करो स्वीकार बाटी चूरमा, आकर वीर तेजाजी।।
लगाये तुमको हम यह————————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)