लगता है मम्मी सुधर गई
***********{ लगता है मम्मी सुधर गई}************
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शर्मा जी का फार्म हाउस काफी बड़े क्षेत्रफल में फैला हुआ था शहर से करीब साठ किलोमीटर दूर इस फार्म हाउस में कई तरह के फल,फूल, सब्जियां ,अनाज और वनस्पतियों की फसल बहुतायत में होती थी ।वैसे तो शर्मा जी आठ दस रोज में फार्म हाउस का चक्कर लगा लिया करते थे पर इस बार अपनी फैमिली के साथ रहने के लिए आए थे
शहर में भी काफी बड़ा बंगला था जहां वह पत्नी बेटा बहू के साथ रहा करते थे ।उनका एक पांच साल पोता भी था सोनू जीसे वे बहुत प्यार करते थे दादा और दादी की की आंखों का तारा था सोनू
शर्मा जी के रिटायर होने के पश्चात उसी दफ्तर में सुरेश की नौकरी भी लग गई थी । अपनी मेहनत और लगन से बहुत जल्दी ही सुरेश भी दफ्तर में अधिकारी के तौर पर काम करने लगा ।
सुरेश की पत्नी सीमा वैसे तो पढ़ी लिखी समझदार स्त्री थी सास ससुर की अच्छी तरह देखभाल करती थी पर कुछ दिनों से किसी के बहकावे में आकर उसका व्यवहार बदलने लगा था । सास ससुर के प्रति सुरेश के कान भरना शुरू हो गया ।सुरेश ने समझाने की कोशिश की तो दोनों में मन मुटाव शुरू हो गया ।
शर्मा जी ने भी दोनों को समझाने की कोशिश की पर कोई फायदा न हुआ । सोनू की भी दादा-दादी से नजदीकियां उसे नागवार लगने लगी । किसी भी बहाने से सोनू को अपने पास ही रोकने की कोशिश में लगी रहती ताकी दादा दादी के पास न जा सके । पर सोनू जब दादा दादी के पास जाने की जिद करता तो उस पर हाथ भी उठाने लगी । और अलग रहने की जिद पर अड गई ।
हालात बिगड़ते और सुरेश को गुमसुम सा मां बाप और पत्नी के बीच पिसता देख शर्मा जी ने सुरेश से कहा ।
हम लोग चाहते हैं कि फार्म हाउस में जाकर रहें । देखभाल भी हो जाएगी और हमारा टाइम पास भी वहां के काम में हो जाएगा । सुरेश ने कुछ देर सोचा और कहा
” ठीक है पापा आप लोग तैयारी कीजिए । रोज रोज की चिक-चिक से तो यही अच्छा रहेगा ।”
शर्मा जी को लगा था की सुरेश इतनी जल्दी नहीं मानेगा उसे थोड़ा समझाना पड़ेगा । सुरेश के एक ही बार में हां कहने पर झटका तो लगा ।पर जाने का मन बना चुके थे अतः ध्यान नहीं दिया ।
और सामान वगैरह पैक करके तैयार हो गए यह देख सीमा की तो खुशी का ठिकाना न था पर जाहिर ऐसे कर रही थी जैसे उनके जाने का बहुत दुख हो।
सामान कार में रखा जाने लगा तभी सोनू भी एक छोटा बैग लेकर आ गया
” दादू मैं भी आपके साथ जाऊंगा ”
तभी सुरेश भी अपना बैग लेकर आ गया ।
“चलिए मम्मी चलिए पापा चलते हैं ।”
“अरे नहीं बेटा ये क्या कह रहे हो तुम लोग कहीं नहीं जा रहे हो” वापस ले जाकर रखो सामान अपना मम्मी ने प्यार से डांट कर कहा।
नहीं मम्मी जहां आपलोग रहेंगे हम भी वहीं रहेंगे क्यों छोटू ठीक है ना ?
” यस पापा हम भी वहीं रहेंगे”
सीमा के तो कांटों खुन नहीं क्या सोचा था और क्या हो रहा है उम्मीद से परे । काफी देर समझाने पर भी सुरेश नहीं माना तो सीमा को अपनी गलती का एहसास होने लगा और सास ससुर से माफी मांगने लगी “मुझसे गलती हो गई पापाजी माफ कर दीजिए ”
कोई कहीं नहीं जाएगा हम सब यहीं रहेंगे ।
ठीक है सब यहां ही रहेंगे पर अभी मन बन चुका है तो कुछ रोज फार्म हाउस पर रहकर वापस आ जाएंगे । शर्मा जी ने कहा ।
तो ठीक है पापाजी मैं भी अपना सामान ले आती हूं हम सभी कुछ रोज फार्म हाउस पर पिकनिक मना कर लौट आएंगे ।
“क्या छोटू मम्मी को भी ले चलें ?” सुरेश ने हंसकर सोनू से कहा
सोनू ने मम्मी की ओर देखा
प्लीज… सीमा ने अपना कान पकड़ कर सोनू की ओर देखा ।
“हां पापा लगता है मम्मी सुधर गई है ले चलो”
“ठहर तो बदमाश सीमा सोनू को पकड़ने को भागी ” सोनू भी हंसते हुए दादा से लिपट गया । सभी ठहाके लगाने लगे और कुछ देर में उनकी कार फार्म हाउस की ओर रवाना हो गई ।
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© गौतम जैन ®
हैदराबाद