लगता है खजाना ____ मुक्तक
लगता है खजाना तुम्हारे हाथ लग गया।
चोंट देके कितनों को यह मीत ठग गया।।
लोटपोट हो रहे हो तुम इसके ही साथ में।
होंठ से तुम्हारे बोल प्रीत का भी भग गया।।
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न इस कदर भी खुद को अहंकार में डालो।
दीन दुखियों को भी तो राहों में संभालो।
गा रहे हैं वे तो गीत मीत प्रीत के ही दिन रात।
साथ में उनके भी तो तुम सुमधुर सा गा लो।।
राजेश व्यास अनुनय