लक्ष्य
लघु कथा — लक्ष्य
एक गांव में एक गरीब परिवार से सोनू राम नाम का आदमी रहता था। उसके दो बेटे और दो बेटियां थी पढ़ा लिखा कर बेटियों की शादी कर दिया।दोनों बेटे को भी खूब पढ़ाया सोनू राम भी खूब पढ़ा लिखा था घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। उसका भी लक्ष्य था कि पढ़कर एक सरकारी नौकरी पर कार्यरत रहे ।परंतु उसका सपना पूरा नहीं हो सका था सोनू राम को नौकरी में नहीं प्राप्त होने पर उनको काफी अफसोस था। अंत में उसका इच्छा था कि मेरे जगह यदि मेरा बेटा नौकरी में कार्यरत रहे तो मेरा सपना पूरा हो जाएगा ।इस लक्ष्य पर वह अपने बेटे को खूब पढ़ाया बेटा को संस्कारित बनाया और अपने बेटे को विज्ञान विषय लेकर खूब पढ़ाया। डॉक्टर बनाने का लक्ष्य लिया ।इसी उद्देश्य के साथ उसका बड़ा बेटा खूब पढ़ाई किए प्रति वर्ष प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुआ।परंतु डॉक्टर नहीं बन सका क्योंकि डॉक्टर की पढ़ाई के लिए काफी पैसे की जरूरत होती है। उतने फीस इंतजाम नहीं कर पाने के कारण वह मेडिकल की पढ़ाई पूरा नहीं कर पाया।अंत में वह पढ़ाई जारी रखा अंत मे उसका मेहनत रंग लाया।।एक शिक्षक पद पर उसको नौकरी मिली।उस दिन उसके पिताजी का लक्ष्य सपना पूरा हुआ।आज घर गाड़ी तमाम भौतिक सुख सुविधाएं उनके घर उपलब्ध है और खुशी से जीवन जीने लगा अंत में उसका लक्ष्य सफलता मिली बेटा को नौकरी लगने के बाद घर की स्थिति अच्छी हो गई और खुशी से जीवन यापन करने लगा।
रचनाकार — डिजेन्द्र कुर्रे