Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Apr 2017 · 2 min read

लक्ष्मी-पूजन का अर्थ है- विकारों से मुक्ति

कार्तिक मास की अमावस्या को पूरी धूमधाम से मनाये जाने वाले त्योहार दीपावली का सम्बन्ध भगवान श्री रामचन्द्रजी का वनवास के दौरान अत्याचारी रावण को मारकर अयोध्या लौटने से है। जिस समय श्री राम चैदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या पहुँचे तो उनके आगमन की खुशी में अयोध्यावासियों ने दीपमालाएँ जलाकर महोत्सव मनाया।
इस त्योहार का दूसरा सम्बन्ध घरों की साफ-सफाई कर माँ लक्ष्मी को अपने-अपने घर पूजा-अर्चना कर बुलाने से है। माँ लक्ष्मी मनुष्य जाति खासकर हिन्दुओं को धन-वैभव, प्रसन्नता और सुख-शान्ति प्रदान करने वाले देवी हैं। इन्हें प्रसन्न करने के लिए हिन्दू लोग अपने-अपने घर के नियत स्थान तथा अपने प्रतिष्ठान पर माँ सरस्वती, हनुमानजी, अन्य देवों के साथ-साथ श्री गणेश का पूजन दीप जलाकर जल, रोली, चावल, खील-बताशे, अबीर, गुलाल, फूल, नारियल, धूप आदि से परिवारीजनों के साथ करते हैं।
सर्वप्रथम सद्बुद्धि-ज्ञान के देवता श्री गणेश का पूजन किया जाता है, तत्पश्चात् माँ लक्ष्मी तथा अन्य देवी-देवताओं का। अन्त में पान के पत्ते पर हलवा रख उसमें चाँदी का एक सिक्का डाल, इस सबको माँ लक्ष्मी को भोग प्रदान करते हुए उनके मुख पर चिपका दिया जाता है। साथ ही एक बड़े-से दीपक में घी डालकर उसे पूरी रात जलाने को रख दिया जाता है।
माँ लक्ष्मी पूजन उन प्रतिष्ठानों या दुकानों में भी किया जाता है, जिनके बूते परिवार की रोजी-रोटी चलायी जाती है। इन स्थानों पर सभी व्यवसायी पुराने बहीखातों के स्थान पर नये बहीखाते बनाते हैं, जिस पर शुभ-लाभ, स्वास्तिक के चिन्ह और ‘श्री लक्ष्मी सदा सहाय’ रोली-हल्दी आदि से लिखा जाता है। सभी व्यवसायी अपने इन नये खातों का पूजन करते हैं।
लक्ष्मी-पूजन का यह समस्त विधान उसी माँ लक्ष्मी से निरन्तर धन-वैभव प्राप्त करने का अनुष्ठान होता है, जिसके बूते जीवन में चमक, शांति और यश बढ़ते हैं।
माँ लक्ष्मी उन्हीं को ‘ऋण मुक्ता’, ‘दारिद्रयहारिणी’ भी कहा जाता है। माँ लक्ष्मी उन्हीं साधकों को ऋण और दारिद्रय से मुक्त बनाती हैं, जो विकारों और आलस्य से विहीन होते हैं। जुआरियों, शराबियों, व्यभिचारियों, फिजूलखर्चियों आडम्बरियों या कामचोरों की पूजा-अर्चना से माँ लक्ष्मी कभी प्रसन्न नहीं होतीं।
माँ लक्ष्मी से पूर्व ज्ञान और बुद्धि के देवता श्री गणेश का पूजन भी इसी कारण किया जाता है कि वह ऐसा ज्ञान या बुद्धि प्रदान करें, जिसके आलोक में उपकार की भावना पुष्पित-पल्लवित हो। अहंकार रूपी अंधकार का विनाश हो।
माँ लक्ष्मी के पूजनोपरांत माँ सरस्वती की आराधना उन्हीं लोगों को फलदायी होती है, जो अपनी सृजनात्मकता के माध्यम से समाज में प्रेम, भाईचारे और मंगल की ज्योति जलाते हैं।
माँ लक्ष्मी पूजन के समय पुरुषवर्ग हनुमानजी की पूजा इसलिए करता है ताकि वह भी श्रीराम जैसे सत्धारी का साथ देकर असुरों के विनाश में सहायक बन सके।
दीपावली के दिन जुआ खेलने वालों, व्यभिचारियों, कामासुरों, अहंकारियों से माँ लक्ष्मी इतनी कुपित होती हैं कि वह ऐसे लोगों को सदा-सदा के लिये पतन, दरिद्रता, असफलता और अपयश के गर्त में धकेल देती हैं। अतः श्री लक्ष्मी-पूजन के समय हर किसी को विकारों से मुक्त होने का संकल्प लेना चाहिए।
————————————————————
सम्पर्क-15/109, ईसानगर, अलीगढ़

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 423 Views

You may also like these posts

देव उठनी
देव उठनी
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
बेटा राजदुलारा होता है?
बेटा राजदुलारा होता है?
Rekha khichi
Rakesh Yadav - Desert Fellow - निर्माण करना होगा
Rakesh Yadav - Desert Fellow - निर्माण करना होगा
Desert fellow Rakesh
ज्ञान तो बहुत लिखा है किताबों में
ज्ञान तो बहुत लिखा है किताबों में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
फिर जल गया दीया कोई
फिर जल गया दीया कोई
सोनू हंस
पापा जी..! उन्हें भी कुछ समझाओ न...!
पापा जी..! उन्हें भी कुछ समझाओ न...!
VEDANTA PATEL
ये हक़ीक़त है
ये हक़ीक़त है
Dr fauzia Naseem shad
रंग विरंगी नाँव
रंग विरंगी नाँव
Dr. Vaishali Verma
भ्रष्टाचार ने बदल डाला
भ्रष्टाचार ने बदल डाला
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
Do your best and then let go. Everyone has limitations , and
Do your best and then let go. Everyone has limitations , and
पूर्वार्थ
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
पापा की तो बस यही परिभाषा हैं
पापा की तो बस यही परिभाषा हैं
Dr Manju Saini
जिंदगी को बड़े फक्र से जी लिया।
जिंदगी को बड़े फक्र से जी लिया।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
* मन बसेगा नहीं *
* मन बसेगा नहीं *
surenderpal vaidya
संवेदनशीलता,सहानुभूति,समानता,समरसता,सहिष्णुता, सत्यनिष्ठा,सं
संवेदनशीलता,सहानुभूति,समानता,समरसता,सहिष्णुता, सत्यनिष्ठा,सं
Rj Anand Prajapati
शब्द
शब्द
Mamta Rani
बचपन बनाम पचपन
बचपन बनाम पचपन
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
हे ईश्वर
हे ईश्वर
sheema anmol
"सिलसिला"
Dr. Kishan tandon kranti
3872.💐 *पूर्णिका* 💐
3872.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
एक बात यही है कहना !!
एक बात यही है कहना !!
Seema gupta,Alwar
ज़मीर
ज़मीर
Shyam Sundar Subramanian
आज फिर ....
आज फिर ....
sushil sarna
सत्यमेव जयते
सत्यमेव जयते
Ghanshyam Poddar
माँ गै करै छी गोहार
माँ गै करै छी गोहार
उमा झा
आप सभी को विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
आप सभी को विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
Anamika Tiwari 'annpurna '
हंसी / मुसाफिर बैठा
हंसी / मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
नारी शक्ति
नारी शक्ति
लक्ष्मी सिंह
ज़मींदार
ज़मींदार
Shailendra Aseem
*सेवा सबकी ही करी, माँ ने जब तक जान (कुंडलिया)*
*सेवा सबकी ही करी, माँ ने जब तक जान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
Loading...