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17 Jun 2020 · 1 min read

लइका पन के आथे सुरता

लईकापन के आथे सुरता
********************

लईकापन के आथे सुरता,
खेलत कूदत जावन जी।
दस पईसा के चुटुर लेके,
अबड़ मज़ा से खावन जी।
!!१!!
तरिया जाय के खातिर हम,
एक जगा जुरियावन जी।
अउ आँखी के ललियावत ले,
डूबकत कूद नहावन जी।
सुथ उठ के बड़े बिहनिया,
रोटी ख़ावन चीला के।
तेकर ले खेले के नेवता,
देवन माई पीला के।
बिन सुविधा के सुख तईहा कस,
आज कहाँ ले पावन जी।
लईकापन के आथे सुरता,
खेलत कूदत जावन जी।
!!२!!
चना चबेना अउ मुर्रा जी,
कहाँ बँचे कोई कोना के।
ककरो ओनहा घिरलत जावे,
अउ कोनो बिन ओनहा के।
जब अँगठी ल चाँटा चाबय,
अड़बड़ हम चिचियावन जी।
लईकापन के आथे सुरता,
खेलत कूदत जावन जी।
!!३!!
भर्ती होयेन जब हम स्कूल,
मार अबड़ हम खावन जी।
संझा हमन आके दाई ल,
दुख सब अपन बतावन जी।
दाई के अँचरा तब पाके,
सुख अड़बड़ हम पावन जी।
लइकापन के आथे सुरता,
खेलत कूदत जावन जी।।
~~~~~~~~~~~~~~
रचनाकार-डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”
पीपरभवना,बलौदाबाजार (छ.ग.)
मो. ‌8120587822

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 1 Comment · 512 Views
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