रौशनी के लिए
रौशनी ज़रूरी है, तीरगी* के लिए
तीरगी ज़रूरी है, बेखुदी** के लिए
बेखुदी ज़रूरी है, आशिक़ी के लिए
आशिक़ी ज़रूरी है, ज़िन्दगी के लिए
ज़िन्दगी ज़रूरी है, बन्दगी*** के लिए
बन्दगी ज़रूरी है, रौशनी के लिए
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*तीरगी — अँधेरा, अंधकार, तिमिर, गदला पन, धुनदला पन, स्याही।
**बेखुदी — [संज्ञा स्त्रीलिंग [फ़ा० बेखुदी] आत्मविस्मृति। 1. बेसुधी; अचैतन्य; बेख़बरी 2. बेख़ुद होने की अवस्था या भाव 3. अपने आपे में न रहना।
***बन्दगी — 1. अधीनता एवं दीनता स्वीकृत करना। 2. ईश्वरीय आराधना।