रोला
*रोला *
सृजन शब्द-पतवार
शबरी रटती राम, आँख से आँसू बहते ।
थामो अब पतवार, आप को तारक कहते।।
पगली कहते लोग, बेर वो मीठे चखती।
आओ अब भगवान, दिनों दिन पीड़ा सहती ।।
डोले मेरी नाव, थाम लो आकर राधा
मेरा देना साथ, जगत ये मिथ्या बाधा।।
कर्मो का है लेख, लिखे नहिँ टारे टरते।
नैया खेते राम, भक्ति हम उनकी करते ।।
राधे कृष्णा नाम, पार भव सागर करता ।
जपते जो दिन रैन, ताप है सारा हरता ।।
माधव बन पतवार, नाव नहिँ मेरी भटके ।
माया करती खेल,प्राण हैं मेरे अटके।।
सीमा शर्मा “अंशु”