रोला छंद..
रोला छंद..
नेताओं की चाल , न समझे जनता भोली ।
बस वादों से रोज , भरे वो अपनी झोली ।
रोज खरीदें स्वप्न , लगा कर नेता बोली ।
कुर्सी पर ये बैठ, करें फिर आँख मिचौली ।
सुशील सरना / 16-10-24
रोला छंद..
नेताओं की चाल , न समझे जनता भोली ।
बस वादों से रोज , भरे वो अपनी झोली ।
रोज खरीदें स्वप्न , लगा कर नेता बोली ।
कुर्सी पर ये बैठ, करें फिर आँख मिचौली ।
सुशील सरना / 16-10-24