रोला छंद –
रोला छंद –
बीती आधी रैन , नैन से छलका पानी ।
हुई अचानक भोर , अधूरी रही कहानी ।
रहा न कुछ भी होश, करे क्या दिल दीवाना ।
तनहा- तनहा रात , सुनाती वो अफसाना ।
सुशील सरना / 29-9-24
रोला छंद –
बीती आधी रैन , नैन से छलका पानी ।
हुई अचानक भोर , अधूरी रही कहानी ।
रहा न कुछ भी होश, करे क्या दिल दीवाना ।
तनहा- तनहा रात , सुनाती वो अफसाना ।
सुशील सरना / 29-9-24