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5 Jul 2020 · 1 min read

रोना

एक रिश्तेदार की मौत पर उनके घर गया। माहौल गमगीन था।
उनके पार्थिव शरीर के आसपास बैठी कई औरतें रो रही थी।
वैसे तो उन्होंने अपनी जिंदगी भरपूर जी ली थी। नाती पोतों से भरा पूरा परिवार छोड़ कर गए थे।

पर किसी का जाना दुःखद भाव पैदा करता ही है।

लौटते वक्त दो रिश्तेदार महिलाओं को बात करते सुना। अरे फलाने की बहू को देखा कैसी बेसुरी आवाज़ मे रो रही थी, आवाज़ भी देखो कितनी भारी है।

मैं सोचने लगा कि क्या दर्द की आवाज़ भी कर्णप्रिय चाहिए?

कभी कभी हम परिहास करते वक़्त संवेदनहीन हो जाते है।

Language: Hindi
1 Comment · 604 Views
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