रोटी से फूले नहीं, मानव हो या मूस
रोटी से फूले नहीं, मानव हो या मूस
पौष्टिकता भरपूर है, खा चंदा या घूस
खा चंदा या घूस, आय स्त्रोत रहे तगड़ा
रोज़ मना त्यौहार, होय ना कोई रगड़ा
महावीर कविराय, खेल चौसर की गोटी
मटन चिकन खा खूब, छोड़ दे सूखी रोटी
—महावीर कविराय