रोज दिवस पर गीत
सप्त श्रृंगार से धरा सुशोभित ,इस बासन्ती मौसम में।
सप्त दिवस का सप्ताह नामित ,यह बासन्ती मौसम में।
मदनोतस्व या वेलेंटाइन ,कुछ भी नाम भले दे दो।
शब्द अनेकों मिल जाएंगे ,कुछ भी शब्द भले ले लो।
प्रीत प्यार की पगडंडी है ,थोड़ा साथ अरे चल लो,
साथ नही फिर चलो उम्र भर ,यादें साथ ज़रा रख लो।
प्रेम सप्तकि है अनुमानित ,इस बासन्ती मौसम में।
सात दिवस का सप्ताह नामित ,यह बासन्ती मौसम में।
प्रथम प्यार की पहली सीढ़ी,मिले कोई कचनार भली ,
जिसको अपना दिल दे डालूँ ,ऐसी मिले कोई नार भली।
सूरत उसकी कैसी भी हो ,सीरत से हो यार भली।
मुस्कान गुलाबी ओठों पर हो, जाये जिगर के पार भली,
ले गुलाब मैं कर दूँ अर्पित ,,इस बासन्ती मौसम में।
रोज दिवस से कर दूँ ज्ञापित ,इस बासन्ती मौसम में।
सप्त श्रृंगार से प्रकृति सुशोभित ,यह बासन्ती मौसम में।
©कलम घिसाई