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15 Oct 2024 · 1 min read

रोज जमकर बरसात होती हैं मेरी शिकायतों की।

रोज जमकर बरसात होती हैं मेरी शिकायतों की।
आज फिर किसी की प्यास तो बुझी होगी।
ये, ‘वो’ न जाने क्या क्या कहता है जमाना मुझको।
लेकिन फिर आज किसी की नाक तो झुकी होगी।

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