रोज जमकर बरसात होती हैं मेरी शिकायतों की।
रोज जमकर बरसात होती हैं मेरी शिकायतों की।
आज फिर किसी की प्यास तो बुझी होगी।
ये, ‘वो’ न जाने क्या क्या कहता है जमाना मुझको।
लेकिन फिर आज किसी की नाक तो झुकी होगी।
रोज जमकर बरसात होती हैं मेरी शिकायतों की।
आज फिर किसी की प्यास तो बुझी होगी।
ये, ‘वो’ न जाने क्या क्या कहता है जमाना मुझको।
लेकिन फिर आज किसी की नाक तो झुकी होगी।