रोजगार
हर व्यक्ति को अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु रोजगार की आवश्यकता होती है। रोजगार मानव की आवश्यकता ही नहीं अपितु विकास की धुरी भी होता है। सदियों से रोजगार समाज की दिशा व दशा में सुधारात्मक परिवर्तन लाता रहा है ।रोजगार व्यक्ति को केवल व्यस्त ही नहीं करता बल्कि मस्त भी कर देता है। व्यक्ति के आर्थिक ढांचे की नींव मजबूत कर समाज को एक मजबूत इमारत के रूप में विश्व पटल पर खड़ा करता है।
प्राचीन समय में जब मानव मस्तिष्क का विकास कम था तब उनकी आवश्यकताएँ कम हुआ करती थीं। तब भी मानव को अपनी आजीविका चलाने हेतु किसी न किसी रोजगार की आवश्यकता जरूरत पड़ती थी। सीमित आवश्यकता के कारण छोटे से रोजगार के द्वारा जीवन यापन हो जाया करता था। मानव में संतोष की प्रवृति थी। रोटी, कपड़ा और मकान की ही आवश्यकता मुख्य थी, जो किसी न किसी रूप में पूर्ण हो जाती थी।
वर्तमान समय में विकास की होड़ चली है। हर तरफ आवश्यकताओं का पुलिंदा खड़ा है। बढ़ती जनसंख्या ही पृथ्वी पर आवश्यकताओं की पूर्ति न होने का मुख्य कारण बनी है। संसाधनों की कमीं व जनसंख्या की अधिकता के कारण आज हर तरफ वैमनस्यता का भाव दिखने लगा है। हर कोई अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने की जद्दोजहद में जुटा है। समाज में अकुशल जनसंख्या रोजगार के अच्छे परिणामों से अपने को वंचित करती दिख रही है और जनाधिक्य रोजगार के अवसरों में कमी ला रहा है।
विकसित देशों में एक तरफ रोजगारपरक शिक्षा की प्राथमिकता दी जाती है , वहीं विकाशसील देशों में इसकी कमी प्रतीत होती है। वर्तमान समय में देश में अनेक तरह की बेरोजगारी व्याप्त है- खुली बेरोजगारी,छिपी बेरोजगारी, मौसमी बेरोजगारी, अन्य बेरोजगारी।
इस तरह योग्यता रखने वाले व्यक्ति भी आज रोजगार की तलाश में इधर उधर भटक रहे हैं। विश्व पटल पर पाठ्यक्रम में व्यवसायिक शिक्षा का उचित समावेश न होने विद्यर्थियों में रोजगार के प्रति रूझान कम होता है।
समाज में शिक्षा का मुख्य उद्देश्य सरकारी रोजगार प्राप्त करना बना हुआ है। व्यवसायिक शिक्षा की उदासीनता और व्यक्ति की मानसिकता दोनों भी इसके जिम्मेदार हैं।सरकार की कुछ नीतियाँ जो रोजगार के अवसरों को तलाशने में मदद करती हैं, का ज्ञान भी पूरी तरह समाज को नहीं है और कहीं कहीं सरकार की रोजगार परक नीतियों की विफलता भी रोजगार के अवसरों से वंचित कर रही है।
आज हमें एक विकसित समाज की आवश्यकता है। जिसके लिये प्रत्येक के पास रोजगार का होना आवश्यक है ,क्योंकि रोजगार के अवसर न ही केवल समाजिक स्तर बढ़ाते हैं बल्कि मानसिक स्तर को भी उच्च आधार प्रदान करते
हैं। समाज में व्यवसायिक शिक्षा का प्रसार कर रोजगर को बढ़ावा दिया जा सकता है।व्यति की जागरूकता अति महत्त्वपूर्ण है कि वो जनसंख्या नियंत्रण में सहयोग करें । जिससे सबको रोजगार के अवसर मिल सकें। जिम्मेदार योजनाओं व नीतियों में आमूल चूल परिवर्तन करना सार्थक होगा। आज के परिवेश में अब सरकार विभिन्न कौशल विकाश मिशन योजनाएँ चलाकर रोजगार को बढ़ावा देने में अग्रसर है।
रोजगार हमारा जीवन चलाने का तरीका ही नहीं अपितु समाज का ढाँचा बदलने का सशक्त माध्यम भी है।