Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jul 2023 · 3 min read

रेलयात्रा- एक यादगार सफ़र

बात उन दिनों की है जब प्रणव शुरू शुरू में नौकरी पर लगा था और उसकी पोस्टिंग दूरस्थ इलाके के एक छोटे से शहर में हुई थी। वहां पोस्टिंग के बाद वो यदा कदा छुट्टियों में अपने घर आया करता था जिसके कारण उसे बार बार रेलगाड़ी से यात्रा करनी होती थी।

ऐसे ही एक बार वो गर्मी के दिनों में वीकेंड की छुट्टी पर अपने घर जाने के लिए रेलगाड़ी में सफ़र कर रहा था। वो रात का सफ़र था और रेलगाड़ी की उस बोगी में गिनती के ही यात्री सवार थे। स्टेशन से गाड़ी छूटने पर उसने गर्मी से परेशान होकर अपने कपड़े ढीले किए और अब जूते उतारकर अपनी सीट के नीचे रख दिए, तभी उसे आभास हुआ कि उसकी सीट के नीचे कुछ है और उसने उसे देखने के लिए अपना सिर नीचे झुकाया।

सीट के नीचे झांककर देखने पर प्रणव चौंक गया था क्योंकि उसकी सीट के नीचे एक किशोरवय लड़की छुपी हुई थी। प्रणव ने उसे बाहर आने को कहा इस पर उसने अपने हाथ जोड़ते हुए उसे शांत रहने को कहा, वह कुछ समझ नहीं पा रहा था और उसे बार बार बाहर आने को कह रहा था उसको लगा कि वो टीसी से बचने के लिए वहां छुपी है।

प्रणव के बार बार बोलने पर वो लड़की डरी सहमी सी बाहर आई और उसने उसे गौर से देखा, फटेहाल कपड़ों में वो एक किशोरवय लड़की थी और काफी घबराई हुई सी लग रही थी। अब प्रणव उसे अपने सामने की सीट पर बैठाकर उससे छुपने का कारण पूछने लगा जिस पर वो रोने लगी और कोई जवाब नही दे सकी।

अब उसने उसे खाना ऑफर करते हुए अपने पास से ब्रेड और केक के पैकेट उसे दे दिए, वो तुरंत ही खाने लगी जिसे देख वो समझ गया कि बेचारी बहुत भूखी थी। ब्रेड खाकर और पानी पीकर जब वह थोड़ी शांत हुई तो प्रणव ने उससे दोबारा उसके बारे में पूछा तब उसने जो बताया उसे सुनकर वो भी सन्न रह गया था।

उसने बताया कि वो लगभग 24 घंटे से इस ट्रेन में है और चार गुंडे गांव से पकड़कर इस रेलगाड़ी में बैठाकर उसे बेचने के लिए कहीं दूर ले जा रहे हैं, मौका मिलने पर मैं उनके चंगुल से छूटकर यहां आकर छुप गई थी और अब वो मुझे ढूंढ रहे हैं। ऐसा बताकर वो प्रणव के पांव पकड़कर रोने लगी और उससे खुद को बचाने के लिए विनती करने लगी, जिस पर प्रणव ने उसे उठाया और उसे अपने पास बैठाकर सांत्वना देने लगा।

थोड़ी देर बाद चारों गुंडे उसे ढूंढते हुए उस बोगी में भी आ गए थे और लड़की को प्रणव के पास बैठा देख वो समझ गए और उन्होंने उसे डराने के लिए चाकू छुरे निकाल लिए थे। प्रणव अपने चारों तरफ नजर दौड़ाई उस बोगी में गिनती के दो चार यात्री ही थे जिनकी हिम्मत नहीं हुई उनकी मदद करने की।

अब उनके पास भागने के सिवाय कोई और चारा नहीं था और प्रणव ने सबसे सामने वाले गुंडे को धक्का देकर उसके साथियों के ऊपर गिरा दिया और लड़की को लेकर अगले बोगियों की ओर भागा। वो गुंडे भी संभलने के बाद उनके पीछे दौड़ने लगे और अब प्रणव और वो लड़की भागते भागते दो तीन बोगियां पार कर गए किसी ने उनकी मदद नहीं की।

ईश्वर की कृपा कहें या उनकी अच्छी किस्मत, अगली चौथी बोगी पर पहुंचने पर उन्होंने देखा वहां आर्मी का एक ग्रुप बैठा था और वहां पहुंचकर प्रणव ने उनको सारी घटना बता दी उन्होंने उन गुण्डो को पकड़कर जमकर पीटा और अपना स्टेशन आने पर उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया।

उन सबको धन्यवाद देकर लड़की को लेकर प्रणव भी अपने घर आ गया था जहां सबको घटना के बारे में बताया और अगले दिन प्रणव उस लड़की को अपनी सुरक्षा में गांव में उसके परिवार के पास छोड़कर आया। उस समय उस लड़की और परिवार वालों के चेहरे में बहुत ही प्रसन्नता के भाव देखकर प्रणव भी बहुत खुश हुआ।

एक मासूम लड़की की जिंदगी बरबाद होने से बचाने की खुशी प्रणव के मन में भी थी और वो इस खुशी में चहकते हुए अपने घर की ओर लौट चला था।

“न जाने दुनिया में कैसे कैसे लोग होते हैं जो अपने परिवार का पालन करने के लिए किसी और के परिवार को व किसी मासूम की जिंदगी को उजाड़ने से भी पीछे नहीं रहते, ऐसे गुनहगारों को सख्त से सख्त सजा देनी चाहिए ताकि कोई अन्य ऐसे काम करने से पहले हजार बार सोचे।”

✍️ मुकेश कुमार सोनकर “सोनकर जी”
रायपुर, छत्तीसगढ़

2 Likes · 325 Views

You may also like these posts

सफ़र ख़ामोशी का
सफ़र ख़ामोशी का
हिमांशु Kulshrestha
वो फिर से लौट आई है दिल पर नई सी दस्तक देने,
वो फिर से लौट आई है दिल पर नई सी दस्तक देने,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जरूरत से ज्यादा मुहब्बत
जरूरत से ज्यादा मुहब्बत
shabina. Naaz
श्वेत पद्मासीना माँ शारदे
श्वेत पद्मासीना माँ शारदे
Saraswati Bajpai
4102.💐 *पूर्णिका* 💐
4102.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
मेरे जीवन में सबसे
मेरे जीवन में सबसे
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
सरस्वती माँ ज्ञान का, सबको देना दान ।
सरस्वती माँ ज्ञान का, सबको देना दान ।
जगदीश शर्मा सहज
सुनहरी उम्मीद
सुनहरी उम्मीद
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
नहीं मैं -गजल
नहीं मैं -गजल
Dr Mukesh 'Aseemit'
बनी रही मैं मूक
बनी रही मैं मूक
RAMESH SHARMA
यदि धन है
यदि धन है
Sonam Puneet Dubey
सड़क
सड़क
SHAMA PARVEEN
काश, मैं मोबाइल होता
काश, मैं मोबाइल होता
अरशद रसूल बदायूंनी
प्रेम की धाराएँ
प्रेम की धाराएँ
Dr. Kishan tandon kranti
*धरते मुरली होंठ पर, रचते मधु संसार (कुंडलिया)*
*धरते मुरली होंठ पर, रचते मधु संसार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
#शोभा धरतीमात की
#शोभा धरतीमात की
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
मै खामोश हूँ , कमज़ोर नहीं , मेरे सब्र का  इम्तेहान न ले ,
मै खामोश हूँ , कमज़ोर नहीं , मेरे सब्र का इम्तेहान न ले ,
Neelofar Khan
गीत- तेरे दिल प्यार की ख़ातिर...
गीत- तेरे दिल प्यार की ख़ातिर...
आर.एस. 'प्रीतम'
जनता मुफ्त बदनाम
जनता मुफ्त बदनाम
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
उम्र न जाने किन गलियों से गुजरी कुछ ख़्वाब मुकम्मल हुए कुछ उन
उम्र न जाने किन गलियों से गुजरी कुछ ख़्वाब मुकम्मल हुए कुछ उन
पूर्वार्थ
विषय- सत्य की जीत
विषय- सत्य की जीत
rekha mohan
फिर भी गुनगुनाता हूं
फिर भी गुनगुनाता हूं
Kaviraag
रिश्ते
रिश्ते
Sanjay ' शून्य'
[दुनिया : एक महफ़िल]
[दुनिया : एक महफ़िल]
*प्रणय*
चचा बैठे ट्रेन में [ व्यंग्य ]
चचा बैठे ट्रेन में [ व्यंग्य ]
कवि रमेशराज
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
चवपैया छंद , 30 मात्रा (मापनी मुक्त मात्रिक )
चवपैया छंद , 30 मात्रा (मापनी मुक्त मात्रिक )
Subhash Singhai
सर्वोत्तम -शाकाहार आहार
सर्वोत्तम -शाकाहार आहार
Sudhir srivastava
सबके संग रम जाते कृष्ण
सबके संग रम जाते कृष्ण
Pratibha Pandey
हर बला से दूर रखता,
हर बला से दूर रखता,
Satish Srijan
Loading...