रेलयात्रा- एक यादगार सफ़र
बात उन दिनों की है जब प्रणव शुरू शुरू में नौकरी पर लगा था और उसकी पोस्टिंग दूरस्थ इलाके के एक छोटे से शहर में हुई थी। वहां पोस्टिंग के बाद वो यदा कदा छुट्टियों में अपने घर आया करता था जिसके कारण उसे बार बार रेलगाड़ी से यात्रा करनी होती थी।
ऐसे ही एक बार वो गर्मी के दिनों में वीकेंड की छुट्टी पर अपने घर जाने के लिए रेलगाड़ी में सफ़र कर रहा था। वो रात का सफ़र था और रेलगाड़ी की उस बोगी में गिनती के ही यात्री सवार थे। स्टेशन से गाड़ी छूटने पर उसने गर्मी से परेशान होकर अपने कपड़े ढीले किए और अब जूते उतारकर अपनी सीट के नीचे रख दिए, तभी उसे आभास हुआ कि उसकी सीट के नीचे कुछ है और उसने उसे देखने के लिए अपना सिर नीचे झुकाया।
सीट के नीचे झांककर देखने पर प्रणव चौंक गया था क्योंकि उसकी सीट के नीचे एक किशोरवय लड़की छुपी हुई थी। प्रणव ने उसे बाहर आने को कहा इस पर उसने अपने हाथ जोड़ते हुए उसे शांत रहने को कहा, वह कुछ समझ नहीं पा रहा था और उसे बार बार बाहर आने को कह रहा था उसको लगा कि वो टीसी से बचने के लिए वहां छुपी है।
प्रणव के बार बार बोलने पर वो लड़की डरी सहमी सी बाहर आई और उसने उसे गौर से देखा, फटेहाल कपड़ों में वो एक किशोरवय लड़की थी और काफी घबराई हुई सी लग रही थी। अब प्रणव उसे अपने सामने की सीट पर बैठाकर उससे छुपने का कारण पूछने लगा जिस पर वो रोने लगी और कोई जवाब नही दे सकी।
अब उसने उसे खाना ऑफर करते हुए अपने पास से ब्रेड और केक के पैकेट उसे दे दिए, वो तुरंत ही खाने लगी जिसे देख वो समझ गया कि बेचारी बहुत भूखी थी। ब्रेड खाकर और पानी पीकर जब वह थोड़ी शांत हुई तो प्रणव ने उससे दोबारा उसके बारे में पूछा तब उसने जो बताया उसे सुनकर वो भी सन्न रह गया था।
उसने बताया कि वो लगभग 24 घंटे से इस ट्रेन में है और चार गुंडे गांव से पकड़कर इस रेलगाड़ी में बैठाकर उसे बेचने के लिए कहीं दूर ले जा रहे हैं, मौका मिलने पर मैं उनके चंगुल से छूटकर यहां आकर छुप गई थी और अब वो मुझे ढूंढ रहे हैं। ऐसा बताकर वो प्रणव के पांव पकड़कर रोने लगी और उससे खुद को बचाने के लिए विनती करने लगी, जिस पर प्रणव ने उसे उठाया और उसे अपने पास बैठाकर सांत्वना देने लगा।
थोड़ी देर बाद चारों गुंडे उसे ढूंढते हुए उस बोगी में भी आ गए थे और लड़की को प्रणव के पास बैठा देख वो समझ गए और उन्होंने उसे डराने के लिए चाकू छुरे निकाल लिए थे। प्रणव अपने चारों तरफ नजर दौड़ाई उस बोगी में गिनती के दो चार यात्री ही थे जिनकी हिम्मत नहीं हुई उनकी मदद करने की।
अब उनके पास भागने के सिवाय कोई और चारा नहीं था और प्रणव ने सबसे सामने वाले गुंडे को धक्का देकर उसके साथियों के ऊपर गिरा दिया और लड़की को लेकर अगले बोगियों की ओर भागा। वो गुंडे भी संभलने के बाद उनके पीछे दौड़ने लगे और अब प्रणव और वो लड़की भागते भागते दो तीन बोगियां पार कर गए किसी ने उनकी मदद नहीं की।
ईश्वर की कृपा कहें या उनकी अच्छी किस्मत, अगली चौथी बोगी पर पहुंचने पर उन्होंने देखा वहां आर्मी का एक ग्रुप बैठा था और वहां पहुंचकर प्रणव ने उनको सारी घटना बता दी उन्होंने उन गुण्डो को पकड़कर जमकर पीटा और अपना स्टेशन आने पर उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया।
उन सबको धन्यवाद देकर लड़की को लेकर प्रणव भी अपने घर आ गया था जहां सबको घटना के बारे में बताया और अगले दिन प्रणव उस लड़की को अपनी सुरक्षा में गांव में उसके परिवार के पास छोड़कर आया। उस समय उस लड़की और परिवार वालों के चेहरे में बहुत ही प्रसन्नता के भाव देखकर प्रणव भी बहुत खुश हुआ।
एक मासूम लड़की की जिंदगी बरबाद होने से बचाने की खुशी प्रणव के मन में भी थी और वो इस खुशी में चहकते हुए अपने घर की ओर लौट चला था।
“न जाने दुनिया में कैसे कैसे लोग होते हैं जो अपने परिवार का पालन करने के लिए किसी और के परिवार को व किसी मासूम की जिंदगी को उजाड़ने से भी पीछे नहीं रहते, ऐसे गुनहगारों को सख्त से सख्त सजा देनी चाहिए ताकि कोई अन्य ऐसे काम करने से पहले हजार बार सोचे।”
✍️ मुकेश कुमार सोनकर “सोनकर जी”
रायपुर, छत्तीसगढ़